Madhyamik GEOGRAPHY Notes

 Madhyamik GEOGRAPHY Notes

Lesson-1





































GROUP-D



1. अन्तर स्पष्ट कीजिए :3 Marks

(a) एस्चुअरी एवं डेल्टा (Estuary and Deltas) 
(b) जलोढ़ शंकु एवं डेल्टा (Alluvial Cone and Deltas)
 (c) रॉश मुटाने(भेड़-पीठ शैल)(मेष शैल)एवं ड्रमलिन 
 (d)अधिवृद्धिकरण और निम्नीकरण
 (e)ड्रमलिन एवं एस्कर
 (f)प्रशिखा एवं पिरामिडनुमा चोटी
 (g)इन्सेलबर्ग तथा मोनाडनॉक
 (h)V आकार की घाटी एवं U आकार की घाटी 
(i)नदीकृत घाटी एवं हिमानी कृत घाटी
 अथवा, 
 नदी घाटी और हिमनद घाटी 
 (j) गार्ज एवं कैनियन (Gorge and Canyon)
(k)सीफ बालुकास्तूप (Seif dune) तथा बरखान (Barkhan)
(l)ज्यूगेन (Zeugen) तथा यारडंग (Yardang)

Ans-
(a)
(b)

(c)
(d)

(e)
(f)

(g)

(h)

(i)
(j)
(K)
 
(L)


विभाग - 'ङ'


इस ग्रूप में दीर्घउत्तरीय प्रश्न होंगे। प्रत्येक प्रश्न का मान 5 अंक होगा। इस ग्रप में कुल 8 प्रश्न पूछे जायेंगे जिनमें से 4 प्रश्नों का उत्तर देना होगा।



1.नदी द्वारा पर्वतीय भाग में कटाव या अपरदन से निर्मित भू-दृश्यों का वर्णन करो। 
अथवा, 
नदी के कटाव द्वारा निर्मित भू-दृश्यों का वर्णन करो। 
अथवा,
 नदी अपने युवावस्था में किन-किन भू-आकृतियों की रचना करती है? सचित्र वर्णन करो। 
 अथवा,
  पर्वतीय या ऊपरी भाग में नदी के अपरदन से बनने वाले स्थलरूपों का वर्णन कीजिए।

उत्तर : नदी पर्वतीय भाग में निम्नलिखित भू-दृश्यों का निर्माण करती है : -

(i)V आकार की घाटी (V-shaped valley) : नदी जब पर्वतीय अवस्था में रहती है तो ढाल अधिक होने के कारण नदी का वेग अधिक होता है। अत: नदी क्षैतिज अपरदन कम करती है। नदी द्वारा लम्बवत् कटाव अधिक होता है। अत: नदी 'V' अक्षर जैसे आकार की घाटी का निर्माण करती है। इस घाटी के किनारे खड़े एवं ऊँचे ढाल वाले होते हैं।

(ii) गार्ज (Gorge): पर्वतीय अवस्था में नदी जब बहुत संकरी और गहरी घाटी का निर्माण करती है तो उनके किनारे खड़े ढाल वाले होते हैं, और उसे गार्ज कहते हैं। इसका निर्माण नदी द्वारा तीव्र गति से निम्न प्रवाह होने पर होता है। सिन्धु, कोसी, सतलुज एवं ब्रह्मपुत्र नदियों में कई स्थानों पर खड्ड या गार्ज का निर्माण हुआ है।

(iii) कैनियन (Canyon): कैनियन गार्ज से कुछ भिन्न होता है। कैनियन में गार्ज जैसे घाटी की लम्बाई कुछ किमी० से कई किमी० तक होती है। कैनियन में अपने धरातल से सैकड़ों मीटर की गहराई में खड़ी ढालों के बीच गहरे मोड़ बनाती हुई बहती है। संयुक्त राज्य अमेरिका की कोलोरेडो नदी पर कैनियन का निर्माण हुआ है जिसे ग्राण्ड कैनियन कहते हैं।



(iv) जल प्रपात (Water Fall) : पर्वतीय अवस्था में जब नदी के मार्ग में मुलायम और कठोर चट्टानें क्षैतिज अवस्था में पायी जाती हैं तो नदी मुलायम चट्टान का अपरदन कर देती है तथा कठोर चट्टान के ऊपर से पानी नीचे की ओर गिरने लगता है। इस प्रकार खड़े ढाल के सहारे जल के गिरने की दशा को जलप्रपात कहते हैं।

जल प्रपात के लिए आवश्यक है कि (i) चट्टानों की कठोरता में अन्तर हो, (ii) चट्टानों के स्तर उद्गम की ओर झुके हो (iii) चट्टानों की परतें क्षैतिज अवस्था में हो एवं (iv) नदी के मार्ग में भ्रंश की क्रिया सम्पादित हो।




(v) द्रुतवाह/क्षिप्रिका (Rapids): जब नदी के मार्ग में कोमल एवं कठोर चट्टानें लम्बवत् स्थिति में पायी जाती हैं तो नदी के कटाव द्वारा मुलायम चट्टानें कटकर बह जाती हैं एवं कठोर चट्टाने मार्ग में खड़ी रहती हैं। नदी का जल इन लम्बवत् खड़ी कठोर चट्टानों से ऊपर उठकर आगे बढ़ता है। ऐसी स्थिति में पानी का प्रवाह आगे की ओर न होकर पीछे की ओर होने लगता है जिसे द्रुतवाह (Rapids) कहते हैं।

(vi) जलगर्तिका (Pot Holes) : पर्वतीय मार्ग में नदी | के द्वारा मुलायम चट्टानें काटकर बहा ली जाती हैं। इन चट्टानी भागों में गड्ढे बन जाते हैं। कालान्तर में नदी के साथ प्रवाहित होने वाले कंकड़ और पत्थर इन गड्ढों को काटकर चौड़ा तथा गहरा कर देते हैं। इसे जल गर्तिका (Pot Holes) कहते हैं।




(vii) नदी अपहरण (River capture) : नदी अपहरण
की दशा निरन्तर शीर्षवर्ती कटाव की क्रिया बढ़ते रहने पर
विकसित होती है। इसका सम्बन्ध नदी की अपरदन क्षमता
पर विकसित होता है। नदी अपहरण जल विभाजन पर विकसित होता है। नदी जल विभाजक को काटकर अपनी घाटी का प्रसार करने लगती है। दूसरी ओर स्थिर कमजोर नदी को शक्शिाली नदी हड़प लेती है। इसे नदी अपहरण कहते हैं।


2.चित्र की सहायता से नदी के जमाव द्वारा बनाये गये चार भू-दश्यों का वर्णन करो।
 अथवा, 
 चित्र की सहायता से नदी निक्षेपण द्वारा बनी स्थलाकृतियों का वर्णन कीजिए। 
 अथवा, 
 मैदानी भाग में नदियों के निक्षेपण कार्य द्वारा बनने वाले प्रमुख स्थलरूपों का वर्णन कीजिए।
अथवा,
 नदी के डेल्टाई या नीचली भाग बनने वाली स्थालाकृतियों का वर्णन कीजिए । 

उत्तर : 
नदी के अवसाद कंकड़, पत्थर, रोड़े, गोलाश्म , बजरी, बालू, विविध प्रकार की महीन मिट्टी एवं रासायनिक. पदार्थ आदि मैदानी या मध्यवर्ती भाग एवं डेल्टाई या निचली भाग में अनुकूल दशाएँ मिलने पर जमा होते रहते हैं। इनके जमाव द्वारा निम्न भू-आकृतियाँ विकसित होती हैं|

नदी के मैदानी या मध्यवर्ती भाग में बनने वाली भू-आकृतियाँ :

(i) जलोढ़ शंकु एवं जलोढ़ पंख (Talus/Alluvial Cone and Alluvial Fan): नदी जब मैदानी भाग में पहुँचती है तो उसके ढाल में कमी आती है। नदी पर्वतपदीय भाग में त्रिकोणाकार या पंखाकार जमाव फैलाकर बिछाती है। छोटी सरिताएँ एवं नाले शंकु की आकृति के तेज ढाल वाले त्रिकोणाकार जमाव करते हैं। इन्हें ही जलोढ़ शंकु(Talus/
Alluvial cone) कहते हैं। दूसरी ओर बड़ी नदियाँ पर्वतीय भाग में कंकड़, पत्थर व मोटे कण वाले जमाव पंखाकार स्वरूप इकट्ठा करते हैं। घाटी के भीतरी भाग में मोटे कण जमा होते में हैं। बजरी, बालू एवं मिट्टी के जमाव बाहर की ओर फैले हुए पंख की तरह बड़े त्रिकोण के रूप में होते हैं, इसे जलोढ़ पंख कहते हैं।


(ii) नदी के मोड़ या विसर्प (River Meanders) : नदी जब मैदानी भाग में पहुँचती है तो एक तट का कटाव करती हैं एवं दूसरे तट पर जमाव करती है। इस प्रकार नदी का मार्ग धीरे धीरे सर्पाकार बन जाता है। मैदानी भाग में मोडों को विसर्प कहते हैं। ऐसे मोड़ एवं घुमावदार विसर्प निरन्तर अधिक मोड़ या बल खाते रहते हैं।

(iii) गोखुराकार या धनुषाकार झील (Oxbow Lake) : जब विसर्प या मोड़ निरन्तर बढ़ता जाता है तो ऐसे सांपों के आमने-सामने के भागों में कटाव होता रहता है। नदी अब विसर्पाकर मार्ग से बहकर सीधे रास्ते में बहने लगती है तो विसर्प या विशाल मोड़ वाला भाग धनुष या विशाल गोलाकार रूप में वहाँ बचा रहता है। यह मुख्य नदी से अलग हुआ भाग होता है। वर्षा ऋतु में यहाँ पर पानी भर जाता है । इसे गोखुर या धनुषाकार झील कहते हैं। आदर्श गोखुर झीलें मिसीसिपी नदी की निचली घाटी में पायी जाती हैं।



नदी के डेल्टाई या निचली भाग में बनने वाली भू-आकृतियाँ :



(i) प्राकृतिक तटबन्ध (Natural Levee) : बाढ़ के समय बहाकर लाये गए अवसाद नदी के दोनों किनारों से कुछ दूर दोनों ओर जमा होते रहते हैं। इस प्रकार नदी के दोनों किनारें नदियों से ऊँचे उठने लगते हैं। यहाँ प्रतिवर्ष बाढ के समय अधिक अवसाद मुख्य धारा से दोनों ओर फैलता रहता है। इस प्रकार किनारे पर ऊपर उठे भाग प्राकृतिक तटबन्ध कहलाते हैं।

(ii) बाढ़ का मैदान (Flood plain) : वर्षा ऋतु में जब बाढ आती है तो नदी की घाटी के दोनों ओर विशाल मात्रा. में जलोढ़ मिट्टी का जमाव होता है। इससे नदी घाटी के दोनों ओर स्थित निम्न भूमि ऊपर उठकर समतल मैदान में बदल जाते हैं. इसे बाढ़ का मैदान कहते हैं। इस प्रकार के मैदानों का विकास मध्य-निम्न गंगा नदी की घाटी, ह्वांगहो, यांगटिसीक्यांग और अन्य बड़ी नदियों की घाटियों से हुआ है। ये बाढ़ के मैदान अत्यधिक उपजाऊ और घने-बसे होते हैं।



(iii) डेल्टा (Delta) : नदी अपनी अन्तिम अवस्था में समुद्र के पास अथवा समुद्र से मिलने से पूर्व अपने साथ बहाकर लाये गये अवसाद का जमाव करती है। अवसाद का जमाव अधिक होने से नदी की मुख्य शाखा कई वितरिकाओं में बँटकर प्रायः त्रिभुजाकार(∆) मैदान का निर्माण करती है। इसे डेल्टा (Delta) कहते हैं।  




Lesson-5




























Important questions answers 














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