WBBSE Class 10 New activity task Solution

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ENGLISH







ANSWER



Activity -1

Activity-2






Activity-3






Hindi



(ख)
(i) 'नौबतखाने में इबादत' निबंध के लेखक कौन है ?

उत्तर:-यतीन्द्र मिश्र

(ii) बिस्मिल्ला खाँ के बचपन का नाम बताइए?

उत्तर:-अमीरुद्दीन

(iii) बिस्मिल्ला खाँ गंगा को क्या कहते थे?

उत्तर:-गंगा मइया

2. 'मनुष्य और सर्प' शीर्षक कविता के माध्यम से कवि क्या सन्देश देना चाहता है ?
उत्तर:- संदेश :- 'मनुष्य और सर्प' शीर्षक कविता में कवि दिनकर जी ने उस समय का संक्षिप्त वर्णन किया है, जब महाभारत युद्ध में कर्ण कौरवों की ओर से युद्ध कर रहा था। रणभूमि में जिस समय कर्ण-अर्जुन आमने-सामने एक दूसरे पर बाणों की बौछार कर रहे थे, उस समय अर्जुन के पूर्व शत्रु ‘अश्वसेन' नामक सर्प ने अर्जुन का वध करने में कर्ण से उसकी सहायता करने का प्रस्ताव किया, किन्तु यशस्वी एवं स्वाभिमानी कर्ण ने उसके इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया क्योंकि वह अपने आदर्श, चरित्र एवं स्वाभिमान पर किसी भी प्रकार का कलंक नहीं लगने देना चाहता था। इस विषय पर उसकी सोच यह थी कि युद्ध में भले ही सर्प उसे विजय दिला दे, किन्तु 'सर्प' तो मानवता का दुश्मन है, अतः यदि उसने अर्जुन पर विजय प्राप्त करने के लिए एक सर्प का सहारा लिया तो उसका स्वाभिमान एवं सम्मान किस प्रकार सुरक्षित रहेगा? वह आने वाली मानवता को अपना मुख कैसे दिखायेगा। इस प्रकार यह कविता हमें एक बहुत बड़ा संदेश देती है।

 3. 'चप्पल' कहानी के आधार पर रंगय्या का चरित्र चित्रण कीजिए ।

उत्तर:-चप्पल कहानी का केन्द्रीय चरित्र रंगय्या है। उसी के केन्द्र के इर्द-गिर्द यह कहानी उत्तर चक्कर काटती है। रंगय्या के चरित्र की निम्न बातें द्रष्टव्य हैं -

(1) आदर्श पिता - रंगय्या एक आदर्श पिता है। उसके अंदर बालस्वरूप भाव हिलोरें ले रहा है। वह अपने एकमात्र पुत्र के भविष्य को सँवारने के लिए कृत संकल्पित है। इसे दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि वह अपने पुत्र के लिए ही जी रहा है; उसकी एक-एक गतिविधि पर वह न्योछावर है।

(2) कृतज्ञता भाव - कृतज्ञता और ममता किसी भी कौम की बहुत बड़ी सिफत होती है। रंगय्या अपने बच्चे के गुरु के प्रति इतना आदर का भाव प्रकट करता है उसको इतना चाहता है कि उसका यह कथन कि "मैं अपना चमड़ा उतारकर चप्पल बनाकर दूँगा फिरभी आप का एहसान नहीं चुका सकूँगा” उसके गुरु के प्रति आदर एवं कृतज्ञता के भाव को प्रकट करता है। हमारे समाज से यह भावना कहाँ लुप्त हो गई ?

(3) श्रद्धा एवं विश्वास की प्रतिमूर्ति : रंगय्या में श्रद्धा एवं विश्वास कूट-कूट कर भरा हुआ है। वह अपने बेटे के गुरु के प्रति श्रद्धा का भाव तो रखता ही है, वह विश्वास से भी लबालब भरा हुआ है तभी तो अपने जीवन की संचित पूँजी मास्टर साहब के यहाँ नियमित रूप से जमा करता जा रहा है। कहाँ हैं ऐसे लोग, रंगय्या जैसे लोग तो चिराग लेकर ढूँढ़ने से भी नहीं मिलेंगे।

 (4) अनपढ़ पर जिज्ञासु रंगय्या अनपढ़ है, उसके लिए काला अक्षर भैस बराबर है। वह शिक्षा के महत्त्व को अब समझ गया है। वह इस उम्र में भी पढ़ना चाहता है। वह मास्टर साहब से स्कूल में नाम लिखवाने की बात करता है। प्रौढ़ शिक्षा केन्द्र एवं रात्रिकालीन पाठशालाओं में उस जैसे लोगों को पढ़ने लिखने की व्यवस्था जानकर वह बहुत खुश होता है और पढ़ने लिखने का निश्चय करता है। यह उसके जिज्ञासा भाव एवं शिक्षा के महत्त्व की समझ का द्योतक है।

(5) सलाहकार : रंगय्या एक कुशल शिल्पी है। उसके पास हुनर है। उसकी कला के स्पर्श के जादू से असम्भव भी संभव हो जाता है अन्यथा मास्टर साहब के सड़े-गले, घिसे-पिटे चप्पलों में नवजीवन का संचार नहीं होता। सब लोग उसे कुशल शिल्पी के रूप में जानते हैं।

(6) अपूर्ण विश्वास एवं बलिदान की भावना : रंगय्या अपने जीवन में सब कुछ सह लेगा पर अपने विश्वास को टूटने नहीं देगा। उसकी यही भावना उसे आग की लपटों में कूदने के लिए बाध्य कर देती है। उसने अपने बेटे रमण के गुरु साहब को बचन दिया है। अपने हाथों चप्पल पहनाने का, वह उसे पूरा करेगा भले ही उसे अपनी जान ही क्यों नहीं गँवानी पड़े। उसने वैसा करके दिखाया। क्या कहेंगे उसकी मूर्खता, उसकी कृतज्ञता भाव या गुरु साहब के प्रति सच्चा प्रेम इसका निर्णय करना सहज नहीं है। मनुष्य की यही भावना तो उसे देवत्त्व की श्रेणी में ले जाती है।

4. 'नमक' कहानी में सफिया को माध्यम से लेखक ने सांप्रदायिक सौहार्द का जो सन्देश दिया है, उसे अपने शब्दों में व्यक्त करें। 

उत्तर:-‘नमक’ कहानी भारत-पाक विभाजन के बाद दोनों देशों के विस्थापित पुनर्वासित व्यक्तियों की भावनाओं का मार्मिक वर्णन है। सफ़िया अपने पड़ोसी सिक्ख परिवार के घर कीर्तन में गई थी। वहाँ एक सिक्ख बीबी को देखकर उसे अपनी माँ का स्मरण हो आया, क्योंकि वह महिला उसकी माँ की हमशक्ल थी। सफ़िया की प्रेम-दृष्टि से प्रभावित होकर सिक्ख बीबी ने उसके बारे में जानकारी जुटाना चाहा। घर की बहू ने बताया कि सफ़िया मुसलमान है और उसके भाई लाहौर में रहते हैं एवं वह अपने भाई से मिलने लाहौर जा रही है। सिक्ख बीबी ने बताया कि उसका वतन भी लाहौर है और उसे लाहौर के लोग, वहाँ का खान-पान, पहनावा, सैर सपाटे और जिंदादिली आज भी याद आती है। जब सफ़िया ने पूछा कि क्या आप वहाँ से कोई सौगात मँगाना चाहती हैं, तो इसके उत्तर में सिक्ख बीबी ने थोड़े से लाहौरी नमक की इच्छा प्रकट की।

सफ़िया लाहौर में पन्द्रह दिनों तक रुकी। सफ़िया की लाहौर में बहुत अधिक खातिरदारी हुई और उसे इतना प्यार मिला कि उसे पता ही न चला कि कैसे पन्द्रह दिन बीत गए। उसे अपने मित्रों, शुभचिंतकों और सम्बन्धियों से ढेर सारे उपहार मिले। उसने सिख बीबी के लिए भी एक सेर लाहौरी नमक ले लिया। सफ़िया का भाई एक पुलिस ऑफिसर था। वह अपने भाई से नमक ले जाने के बारे में पूछी तो उसने बताया कि नमक ले जाना गैरकानूनी है और कस्टम वाले आपके सामान की तालाशी लेंगे। वैसे भारत में नमक की कमी नहीं है। सफ़िया ने बताया कि माँ की हमशक्ल की एक सिक्ख बीबी है, जो लाहौर की ही रहनेवाली है, उसी ने नमक मँगाया है और मैं उसके लिए नमक सौगात के रूप में ले जाना चाहती हूँ। भाई के तर्क देने पर कि पकड़े जाने पर बदनामी होगी तो सफ़िया ने कहा कि मैं नमक छिपा कर नहीं बल्कि दिखाकर ले जाऊँगी क्योंकि प्रेम, आदमियत और शालीनता कानून के ऊपर होते हैं, उसके बाद उसके आँखों में आँसू आ गए। रात में सफ़िया ने सामान के पैकिंग के समय फल की टोकरी में नीचे नमक को छिपा दिया। उसने लाहौर
'जाते समय देखा था कि कस्टम वाले फलों की जाँच नहीं कर रहे थे। सामान पैकिंग के बाद सफ़िया सो गई। और सपने में उसने लाहौर के सौन्दर्य, भाई और अपने संबंधियों को देखा। अचानक उसकी आँखें खुली और याद आया कि कीनू की टोकरी देते समय एक दोस्त ने कहा था का मेवा है।' जब वह फर्स्ट क्लास के वेटिंग रूम में बैठी थी और उसका सामान जाँच के लिए कस्टम वाले - 'यह हिन्दुस्तान-पाकिस्तान की एकता के पास जाने लगा तो उसने निर्णय लिया की प्रेम की सौगात चोरी से नहीं ले जाएगी और नमक की पुड़िया निकालकर अपने बैग में रख ली। उसने कस्टम वाले अधिकारी के सामने नमक की पुड़िया रख दी और सारी कहानी बता दी। कस्टम अधिकारी दिल्ली का रहनेवाला था, उसने कहा, "मुहब्बत तो कस्टम से इस तरह गुजर जाती है कि कानून हैरान रह जाता है।" आप जाकर जामा मस्जिद की सीढ़ियों को मेरा सलाम कहिएगा और इस खातून को कहिएगा कि लाहौर अभी तक उनका वतन है और देहली मेरा। गाड़ी भारत की ओर बढ़ी तो अटारी में पाकिस्तानी पुलिस उतर गई और हिन्दुस्तान की पुलिस सवार हुई। यह देखकर सफ़िया ने सोचा, एक-सी सूरतें और लिबास, एक-सा लबोलहजा और एक सा अंदाज, फिर भी दोनों की हाथों में भरी बंदूकें ।

अमृतसर में जो कस्टम अधिकारी सफ़िया के सामान का जाँच कर रहा था वह ढाका का रहनेवाला था। सफ़िया ने उससे कहा कि उसके पास थोड़ा-सा नमक है और नमक के बारे में सारी कहानी उसे बता दिया। कस्टम अधिकारी ने कहा कि वैसे तो डाभ कोलकाता में भी होता है, जैसे नमक यहाँ भी होता है, पर हमारे यहाँ के डाभ की क्या बात है। हमारी जमीन, हमारे पानी का मजा ही कुछ और है। सफ़िया सोच रही थी ‘‘किसका वतन कहाँ है - वह जो कस्टम के इस तरफ है या उस तरफ।” इस तरह हम देखते हैं कि बंगलादेश, पाकिस्तान और भारत की सीमाएँ एवं देश अलग-अलग हैं लेकिन जनता के दिल में भेद नहीं है ।

5. 'दीपदान' एकांकी के शीर्षक की सार्थकता को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर - शीर्षक किसी रचना का केन्द्र बिन्दु होता है। सम्पूर्ण कथावस्तु उसी के चारो ओर घूमती है। किसी रचना के कथ्य और उद्देश्य का पता उसके शीर्षक से ही चल जाता है। शीर्षक को संक्षिप्त, कौतूहलवर्द्धक रोचक और आकर्षक होना चाहिए।
       'दीपदान' एकांकी का शीर्षक अत्यन्त संक्षिप्त और आकर्षक है। शीर्षक को पढ़ते ही मन में कौतूहल और जिज्ञासा का अविर्भाव होता है कि कैसा दीपदान ? किसका दीपदान ? यह पाठक की भावना को उत्तेजित करने में भी पूर्णरूप से सक्षम है। इस तरह 'दीपदान' शीर्षक एकांकी उपयुक्त है।इस एकांकी में दीप-दान कई अर्थों में हमारे सामने आता है|
       दीप-दान - जो चित्तौड़ का एक सांस्कृतिक उत्सव है तथा इसमें तुलजा भवानी की अराधना कर दीप-दान किया जाता है। दूसरे अर्थ में दीप-दान का आशय अपने कुलदीपक चंदन के बलिदान से है। एक ओर जब सारा चित्तौड़ तुलजा भवानी के लिए दीप-दान कर रहा है तो वहीं दूसरी ओर मातृभूमि तथा भावी राजा की रक्षा के लिए पन्ना अपने ही पुत्र चंदन को मातृभूमि की भेंट चढ़ा देती है|

       "आज मैंने भी दीपदान किया है, दीपदान ! अपने जीवन का दीप मैंने रक्त की धारा पर तैरा दिया है। ऐसा दीपदान भी किसी ने किया है।"

        तीसरे अर्थ में जहाँ एक ओर राज्य की सुख-समृद्धि के लिए चित्तौड़ के लोग दीपदान करते हैं, पन्ना मातृभूमि के लिए अपने पुत्र का ही दीपदान करती है वहीं बनवीर भी है जो अपनी सत्ता लोलुपता के कारण अपने रास्ते के काँटे कुँवर उदयसिंह के धोखे में चंदन का दीप-दान करता है -

         'आज मेरे नगर में स्त्रियों ने दीप-दान किया है। मैं भी यमराज को इस दीपक का दान करूंगा। यमराज ! लो इस दीपक को। यह मेरा दीप-दान है।'
          प्रस्तुत एकांकी में ‘दीपदान' शब्द प्राण रूप में सर्वत्र व्याप्त है।
इस प्रकार हम यह कह सकते हैं कि चाहे विषय की दृष्टि से हो, चाहे चित्तौड़ की संस्कृति की दृष्टि से हो या अपने कुल के दीप के दान करने की बात हो या फिर बनवीर द्वारा सत्ता पाने के लिए यमराज को दीपदान करने की बात हो हर दृष्टि से इस एकांकी का शीर्षक 'दीपदान' बिल्कुल सार्थक एवं उपयुक्त है।

6. 'पाण्डे जी का चरित्र आदर्श सिद्धान्तों की नींव पर खड़ा था।'-'कर्मनाशा की हार' कहानी के आधार पर सिद्ध कीजिए। 

उत्तर -'कर्मनाशा की हार' श्री शिवप्रसाद सिंह द्वारा रचित एक मार्मिक कहानी है, जिसे चरित्र प्रधान कहानी कहा जा सकता है। इस कहानी में प्रमुख पात्र हैं भैरो पाण्डे जिनके माध्यम से कहानीकार ने प्रगतिशील सामाजिक दृष्टि का समर्थन किया है। नैतिकता और वंश मर्यादा के पुरातन संस्कारों पर 'मानवतावाद' की विजय इस कहानी में चित्रित की गई है। ब्राह्मण परिवार का होने पर भी भैरो पाण्डे ने मल्लाह जाति की फुलमत को अपने भाई की पत्नी स्वीकार कर एक ओर तो जातिगत मर्यादा के पुरातन संस्कारों को तोड़कर प्रगतिशीलता का परिचय दिया तो दूसरी ओर उनकी 'मानवता' जाग्रत हो गई और उन्होंने यह सत्य स्वीकार कर लिया कि फुलमत उनके भाई की पत्नी है, अतः इस बच्चे को और फुलमत को उनके जीते जी संरक्षक मिल गया। कोई माई का लाल उनके परिवार के इन दोनों सदस्यों को कर्मनाशा में फेंकने का दुस्साहस नहीं कर सकता। अपाहिज भैंरो पाण्डे का यह नैतिक साहस प्रगतिशीलता एवं मानवता की विजय है और कर्मनाशा की हार है।

भैरो पाण्डे ही इस कहानी के नायक हैं। उनके चरित्र की प्रमुख विशेषताओं का निरूपण निम्न शीर्षकों में किया जा सकता है।

भैरो पाण्डे का चरित्र चित्रण : (1) आदर्श भाई :- भैरो पाण्डे एक कर्तव्यनिष्ठ आदर्श भाई है। माता-पिता के स्वर्ग सिधार जाने पर उन्होंने दो वर्षीय भाई कुलदीप का पालन-पोषण बेटे की तरह किया। उन्होंने बड़े लाड़-प्यार से उसे पाला पोसा तथा उसकी शिक्षा-दीक्षा का समुचित प्रबन्ध किया। कुलदीप जब घर से भाग गया तब भी भैरो पाण्डे उसकी चिन्ता में लीन रहते।

(2) वंश मर्यादा के प्रति सजग :- भैरो पाण्डे को यह सन्देह था कि उनका भाई कुलदीप पड़ोस की विधवा युवती फुलमत से प्रेम करता है। बाल्टी लेने जब फुलमत उनके घर आई और कुलदीप से टकरा गई तो भैरो पाण्डे ने उन्हें ऐसी तीखी नजरों से देखा कि दोनों काँप गए, किन्तु जब कर्मनाशा के तट पर उन्होंने दोनों का प्रेमालाप देखा तो कुलदीप को थप्पड़ मारने में भी उन्हें संकोच न हुआ। वे मन में यह भी सोचते थे - "काश फुलमत अपनी जात की होती, कितना अच्छा होता, वह विधवा न होती”
(3) मानवतावादी व्यक्तित्व :- भैरो पाण्डे मानवता के गुणों से युक्त हैं। फुलमत को अपनी बहू स्वीकार करने में वंश मर्यादा के पुरातन संस्कार आड़े आ रहे थे। किन्तु जब उन्होंने देखा कि लोग फुलमत और उसके बच्चे को चढ़ी नदी की धारा में फेंकने को तत्पर हैं तो उनकी मानवता जाग उठी। उन्होंने बच्चे को फुलमत की गोद से ले लिया और कहा - "कुलदीप कायर हो सकता है, वह अपने बहू-बच्चे छोड़कर भाग सकता है, किन्तु मैं कायर नहीं हूँ। मेरे जीते जी बच्चे और उसकी माँ का कोई बाल भी बाँका नहीं कर सकता समझे।’’ फुलमत को अपने घर की कुललक्ष्मी, अपने भाई की पत्नी के रूप में उन्होंने स्वीकार कर लिया।

(4) साहसी एवं निडर :- भैरो पाण्डे अपाहिज भले ही हों पर उनका साहस एवं निर्भीकता प्रशंसनीय है। गांव वाले जब फुलमत और उसके बच्चे को नदी में फेंकने को तत्पर हैं तब वे चट्टान की तरह अडिग होकर उनके मार्ग में आ खड़े होते हैं। मुखिया के द्वारा यह कहने पर कि पाप का दण्ड तो फुलमत को भोगना ही पड़ेगा वे निर्भीक होकर कहते हैं कि “यदि मैं एक-एक के पाप गिनाने लगूँ तो यहाँ खड़े सारे लोगों को परिवार समेत कर्मनाशा के पेट में जाना पड़ेगा।" यह सुनकर मुखिया निरुत्तर हो जाता है।

(5) प्रगतिशील :- भैरो पाण्डे प्रगतिशील ग्रामीण है। जहाँ पूरे गाँव में यह अन्धविश्वास प्रचलित है कि कर्मनाशा की बाढ़ मानव बलि लेकर ही शान्त होती है, वहीं वे इस अन्धविश्वास का खण्डन करते हुए रूढ़िवादिता का विरोध करते हैं - "कर्मनाशा की बाढ़ दुधमुँहे बच्चे और एक अबला की बलि देने से नहीं रुकेगी, उसके लिए तुम्हें पसीना बाहकर बाँधों को ठीक करना होगा”

जिन उद्धत लहरों की चपेट से बड़े-बड़े विशाल पीपल धराशायी हो गए थे वे एक-टूटे नीम के पेड़ से टकरा रही थीं जिसकी जड़ें चट्टान की तरह अडिग थीं। निश्चय ही आज कर्मनाशा अपाहिज भैरो पाण्डे से हार गयी थी।

उक्त विवेचन के आधार पर कहा जा सकता है कि भैरो पाण्डे आदर्शवादी, नैतिक मूल्यों के समर्थक, साहसी एवं निर्भीक व्यक्ति हैं। उनका मानवतावाद एवं उनकी प्रगतिशीलता अनुकरणीय है।


7. अपने इलाके में नव उद्घाटित शॉपिंग मॉल 'स्पेनशर' के विषय में लोगों को जानकारी देने के लिए समाचार पत्र में प्रकाशन हेतु एक प्रतिवेदन लिखिए।

नव उद्घाटित शॉपिंग मॉल 'स्पेनशर'


कोलकाता 17 अक्टूबर, 2021: 17 अप्रैल, 2021 को हमारे इलाके में शॉपिंग मॉल 'स्पेनशर' का उद्घाटन किया गया। पूरे मॉल को दुल्हन की तरह सजाया गया। स्पेनशर में ग्राहक को हर जरूरतमंद सामान मिल जाता है।घरेलू सामान से लेकर लाइफ स्टाइल व इलेक्ट्रॉनिक वस्तुयें हर चीज उपलब्ध है।प्रत्येक खरीदी पर आकर्षक छूट और इनाम भी मिल जाता है।शॉपिंग मॉल की दुकानों को बेहतर ढंग से सजाया गया है।
शॉपिंग मॉल बहुत बड़े से स्थान पर बनाया गया है जिसमें हर तरह की सुविधा ग्राहक को उपलब्ध कराई जाती है। जिससे कि ग्राहक को घूमने फिरने, खाने-पीने, सामान खरीदने में किसी तरह की कोई भी समस्या ना हो । शॉपिंग मॉल के अंदर चारों तरफ कांच ही कांच लगा है। यहां जो भी प्रोडक्ट रखा जाता है वह प्रोडक्ट उच्च क्वालिटी का होता है। जब छुट्टी का दिन होता है तब सभी अपने परिवार के साथ एक बार स्पेनशर घूमने के लिए जा सकते हैं। शॉपिंग मॉल के अंदर काफी भीड़ देखने को मिलती है।यहां ग्राहक को कभी भी ठगा नहीं जाता है। शॉपिंग मॉल के अंदर महिलाओं को कपड़े खरीदने कपड़े चेंज करके देखने की भी उचित व्यवस्था है। शॉपिंग मॉल के अंदर जाने से पहले सभी व्यक्ति को अपनी चेकिंग करवाना पड़ती है जिससे कि कोई भी व्यक्ति शॉपिंग मॉल के अंदर माचिस, बीड़ी ,तंबाकू ना ले जा सके क्योंकि शॉपिंग मॉल को बहुत ही सुंदर तरह से बनाया गया हैं।सभी ग्राहकों को एक ट्रॉली दी जाती है जिस ट्रॉली में ग्राहक सामान रखकर एकत्रित करता है।इस शॉपिंग मॉल की सुंदरता की जितनी प्रशंसा की जाए उतनी कम हैं।


8. (क) वाक्य किसे कहते हैं? वाक्य के भेदों का सोदाहरण परिचय दीजिए। 

उत्तर:-वाक्य : ऐसा सार्थक शब्द समूह जिससे पूरा आशय व्यक्त हो सके, वाक्य कहलाता है।

 महाभाष्यकार पतंजलि के अनुसार 'पूर्ण अर्थ की प्रतीति कराने वाले शब्द समूह को वाक्य कहा जाता है।'

रचना के अनुसार वाक्य के भेद-

रचना के अनुसार हिन्दी वाक्य तीन प्रकार के होते हैं:-

(1) सरल या साधारण वाक्य (Simple Sentence)

(2) संयुक्त वाक्य (Compound Sentence) 

(3) मिश्रित वाक्य (Complex Sentence)]

सरल या साधारण वाक्य - जिस वाक्य में एक ही उद्देश्य और एक ही विधेय हो, उसे सरल या साधारण वाक्य कहते हैं। सरल वाक्य में एक ही मुख्य क्रिया होती है। जैसे- राम पढ़ता है, बालक सोता है आदि।


 (2) संयुक्त वाक्य -जिस वाक्य में दो या दो से अधिक खण्डवाक्य स्वतंत्र रूप से योजक द्वारा मिले हों, उसे संयुक्त वाक्य कहते हैं। जैसे - (i) हम गये और तुम आये। (ii) मैंने खाना खाया और सोकर उठा तो वालीबॉल देखने चला गया|


(3) मिश्रित वाक्य - जिस वाक्य में एक प्रधान उपवाक्य हो तथा अन्य खण्ड वाक्य अधीन अथवा आश्रित होकर आएँ, उसे मिश्रित वाक्य कहते हैं। जैसे- मैंने सुना है कि वह यहाँ पहुँच गया है ।
माँ ने कहा कि शाम को जल्दी लौट आना।
जब मैं घर पहुँचा तब वर्षा शुरू हो चुकी थी।

(ख) वाच्य किसे कहते हैं ? वाच्य के भेदों का सोदाहरण परिचय दीजिए।
उत्तर:- वाच्य - ‘वाच्य' क्रिया के उस रूपान्तर को कहते हैं, जिससे जाना जाता है कि वाक्य में कर्त्ता उत्तर के विषय में विधान किया गया है या कर्म के विषय में अथवा केवल भाव के विषय में । 

प्रयोग के आधार पर हिन्दी में वाच्य के तीन निम्नलिखित प्रकार होते हैं

1. कतृवाच्य - उदाहरण- बच्चे खेलते हैं।

2. कर्मवाच्य - उदाहरण- बच्चों द्वारा खेला जाता है।

3. भाववाच्य - उदाहरण- बच्चों द्वारा खेला जा रहा है।

Math



3. संक्षिप्त उत्तरीय प्रश्नो :
(i) 



(ii)

(iii)


4.



Physical Science


2. अति संक्षिप्त उत्तर दें :

2.1 गैस स्थिरांक (R) की S.I. इकाई लिखें।


2.2 आवर्त सारणी में किसी एक आवर्त में किस तत्व का परमाणुविक आकार सबसे बड़ा होगा ?


2.3 एक ऐसे आयनिक यौगिक का संकेत लिखे जिसके धनायन और ऋणायन दोनों का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास हिलीयम परमाणु जैसा हो।




3. संक्षिप्त उत्तर दो :

3.1 गाड़ी के साइड मिरर के रूप में समतल दर्पण की जगह उत्तल दपर्ण का व्यवहार क्यों किया जाता है ?




3.2 किसी तत्व के आयनन उर्जा से आप क्या समझते हैं?



4. 1.6gm. मात्रा वाले किसी गैस का दबाव तथा तापक्रम क्रमशः 760mm तथा 273k है तथा उसका आयतन 1.12L है। इस गैस का मोलर मात्रा तथा हाइड्रोजन के सापेक्ष में वाष्प घनत्व निकालें। 











Life Science






History





Geography





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