WBBSE CLASS 9 New Activity task Solution
WBBSE CLASS 9
New Activity task
Solution
ENGLISH
Activity 1
Write the correct answers from the given alternatives in the given space :
(i) The funny incident about Bhola Grandpa was related by the narrator’s father.
a) mother b) aunt
c) father d) sister
(ii) The afternoon was rainy.
a) sunny b) rainy
c) cold d) snowy
(iii) The pirates were burying a large box under the sand dune .
a) fields b) valley
c) foothills d) sand dune
Activity 2
Change the following sentences into Passive Voice:
(i) He saw a tiger.
Ans: A tiger was seen by him.
(ii) Close the door.
Ans: Let the door be closed.
(iii) I gave the baby a doll.
Ans: A doll was given to the baby by me.
Activity 3
Write a paragraph in about 100 words on ‘Online Classes’ using the following points:
introduction – necessity – advantages – disadvantages – conclusion
Online Classes
Online learning is a major innovation in the education system in this day and age. Using this method, students can perform their tasks any time without the need to go to the school. Online education is done by using laptops, tablets or other such devices that they can utilize.
Due to Covid – 19 pandemic, all the schools are chosen online class to continue the education system. To prevent the corona disease it is necessary to maintain self distance. So, in this pandemic situation all the schools are taken class through online system.
Online class is less stress for the students, because it is often easy to focus on the task. Students do not need to worry about what they would eat, wear or carry with them for the whole time. They will be able to manage their time as a full-time student or a part-time working student.
While there are advantages to online classes, there are also some disadvantages.
There is not enough time to meet teachers. It costs money because the students need to have high speed internet, smart phone, computer or tablet. Through online classes, the teachers do not have personal relations with the pupils, so they can not provide personal advice to their students.
Although online classes are not as common in our country. But in the current situation, online classes are having a positive enough impact on students at all levels to continue their studies.
Hindi
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर अपने शब्दों में लिखिए :
1. संस्कृति और सभ्यता से आप क्या समझते हैं ? 'संस्कृति है क्या' ? पाठ के आधार पर दोनों में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उतर:- संस्कृति एक विशेष प्रवृत्ति है जो अन्त है। उसे स्थूलरूप से किसी परिभाषा में बना सम्भव नहीं है। संस्कृति में आदान-प्रदान का गुण होता है और लेन-देन से यह फलती फूलती है। जिस प्रकार एक मनुष्य पर दूसरे मनुष्यों की संगति का असर होता है, उसी प्रकार दो भिन्न संस्कृतिकले लोग आपस में मिलते हैं, तो उनका प्रभाव एक दूसरे पर पड़ता है। उदहरण के लिए जब भारत पर मुगला का शासन था, तब मुस्लिम संस्कृति का प्रभाव हमारे खान-पान, रस्म-रिवाज साहित्य, कला स्थापत्य पर पड़ा। दो जातियों के मिलने से जिन्दगी की नई धारा फूट. पड़ती है और दोनों उससे प्रभावित होते हैं।अतः संस्कृति को परिभाषित करना कठिन है। वह अनुभूति का तत्व है, अभिव्यक्ति का नहीं। जिस प्रकार एक फूल की सुगन्ध को हम अनुभव कर सकते हैं लेकिन उसे शब्दों में बयान नहीं कर सकते, ठीक उसी प्रकार संस्कृति हमारे जीवन में रची बसी सुगंध है जिसे जीवन से अलग करके नहीं देखा जा सकता।
अंग्रेजी में एक कहावत है कि संस्कृति वह गुण है जो हममें घुला मिलता है और सभ्यता यह गुण है जो हमारे आस-पास है। संस्कृति और सभ्यता में यही अन्तर है। संस्कृति जन्मजात होती है, परन्तु सभ्यता हम अर्जित करते हैं। संस्कृति व्यक्ति का आंतरिक गुण है जो निर्धन-धनी किसी में भी हो सकता है। पोशाक पहनने की कला, भोजन करने की कला आदि संस्कृति से सम्बन्ध रखते हैं। सभ्यता की पहचान व्यक्ति के ठाठबाट और सुख-सुविधा से होती है परन्तु हमारे बोलने वालने, उठने-बैठने के ढंग और व्यवहार का सम्बन्ध संस्कृति से है। सभ्य दिखनेवाला हर व्यक्ति सुसंस्कृत नहीं होता। अच्छी पोशाक पहनने वाला ही संस्कारशीत होगा, यह जरूरी नहीं है। वह बात व्यवहार में पशुवत हो सकता है। सभ्यता और संस्कृति में घनिष्ट सम्बन्ध है। संस्कृति हमारी आंतरिकता से जुड़ी है और सभ्यता हमारे बाह्य वातावरण से संस्कृति जन्मजात और सहजात होती है, सभ्यता अर्जित की जाती है।
संस्कृति और सभ्यता एक दूसरे के पूरक हैं। अपने विकास के लिए दोनों एक दूसरे पर आश्रित है। इनका विकास भी साथ-साथ होता है। दोनों एक दूसरे को प्रभावित करते हैं और प्रभावित भी होते हैं। जैसे घर बनाना सभ्यता का काम है परन्तु उसे सुरुचिपूर्ण तरीके से बनाना संस्कृति का कार्य है। सांस्कृतिक रूचि से जो घर बनाया जाता है, वह सभ्यता का अंग बन जाता है।
गुफा से घर तक के सफर में भी सभ्यता एवं संस्कृति का मिलाजुला प्रभाव कार्य कर रहा था। संस्कृति समाता की अपेक्षा अधिक सूक्ष्म होती है। संस्कृति सभ्यता के अन्दर इस प्रकार इसी रहती है जैसे फूलों में सुगन्ध, मृग में कस्तूरी संस्कृति के बिना सभ्यता अधूरी है। सभ्यता के सामान आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं, उन्हें खरीदा जा सकता है परन्तु उनके उपयोग के तरीके तुरन्त नहीं आ जाते। यह संस्कृति का काम है।
सभ्यता के साधनों का साथ व्यक्ति के साथ तक सीमित रहता है क्योंकि सभ्यता भौतिक वस्तुओं, उपकरणों पर आधारित होती है। इनका साथ व्यक्ति की मृत्यु के पश्चात् टूट जाता है। परन्तु संस्कृति व्यक्ति के अन्दर की वस्तु है और उसका सम्बन्ध आत्मा से होता है। अतः व्यक्ति के साथ उसका जन्मजन्मान्तर का संग होता है। संस्कृति आत्मा का गुण होने के कारण आत्मा की ही तरह नित्य है, निरन्तर है। अतः संस्कृति और सभ्यता में घनिष्ट सम्बन्ध है।
2. 'पेंड़ का दर्द' कविता का मूल भाव अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-पेड़ का दर्द सर्वेश्वर दयाल सक्सेना की एक प्रतीकात्मक कविता है। यहाँ पेड़ अपनी जमीन से कटे व्यक्ति एवं जंगल समाज का प्रतीक है। 'मैं' शैली में लिखी गई कविता में कवि ने पेड़ के माध्यम से अपनी जड़ से कटे व्यक्ति की व्यथा को व्यक्त किया है।
चूल्हे में लकड़ी की तरह जलता है तो उससे कुछ धुआँ, लपटें, कोयले और राख निकलते हैं। इस आधुनिक होते समाज के लिए पेड़ का अपना अस्तित्व नष्ट होता रहता है। उस लकड़ी से निकलती आग से भले ही समाज की जरूरतें पूरी होती हों, लेकिन उसके जलने से समाज की कुछ क्षति भी होती है। उससे पर्यावरण को दूषित करनेवाला धुआँ भी निकलता है। पेड़ की आत्मा जलकर कोयला और राख में बदल जाती है। पेड़ नहीं चाहता है कि कोई उसे अपने जंगल की याद दिलाए । अपने जंगल की याद आने पर उसे बहुत कष्ट होता है। लकड़ी बनने से पहले पेड़ का जंगल में अपना परिवेश था। वहाँ उसे उसके जीवन की संपूर्णता प्राप्त थी। जंगल के अन्य प्राणियों के साथ उसका सह-जीवन था। उसकी डालियों पर चिड़ियाँ चहचहाती थीं। उसके तने से लिपटकर धामिन साँप को सुख मिलता था और थका-माँदा गुलदार उसके ऊपर बैठकर सुस्ताता था। आधुनिकता की दौड़ में मदान्ध लोगों के लिये पक्षियों के कलरव का भले ही कोई महत्त्व नहीं हो उन्हें धामिन और गुलदार (उत्तराखण्ड की जंगलों में पाया जानेवाला चीते जैसा एक शिकारी जानवर जो पेड़ पर चढ़ जाता है।) भले ही हिंसक प्राणी लगते हों, लेकिन प्रकृति में उनका भी प्रयोजन है। जीव-जगत् के संतुलन के लिए उनका जीवित रहना जरूरी है। इस प्रकार पेड़ को जंगल के अपने परिवेश में घुल-मिलकर जीने का एक अलग ही आनन्द मिलता था 14 विकास के नाम पर पेड़ को जंगल से काटकर अलग किया गया। एक ओर जंगल सूना होता गया और दूसरी ओर पेड़ को जंगल के काटकर उससे उसकी संपूर्णता छीन ली गई। निष्प्राण लकड़ी बनने की प्रक्रिया में पेड़ को निर्मम कुल्हाड़े के वार झेलने पड़े। उस पर आरियों की तेज धार चली। उसके व्यक्ति को कर दिया गया। जंगल के नाम पर अब पेड़ की स्मृति में केवल उन कुल्हाड़े और आरियों की धार बसी है।
जड़ विहीन पेड़ जब निष्प्राण लकड़ी बनकर चूल्हे में जलता है तो वह नहीं जानता कि उसका उपयोग किस निमित्त किया जाएगा उसकी आँच की ऊर्जा व्यर्थ जाएगी या उससे किसी का भला होगा चूल्हे पर चढ़ी हाँड़ी की खुदबुद झूठी भी हो सकती है। इससे किसी की आत्मा की तृप्ति का आश्वासन एक धोखा भी हो सकता है।
लकड़ी बनकर जलता हुआ पेड़ नहीं जानता कि उसकी आँच की ऊर्जा देखकर किसका चेहरा नाराजगी से तमतमा रहा है और किसे गुस्सा आ रहा है? कौन उसे लुकाटे की तरह अपने हाथों में उठाकर आन्दोलन के लिए निकलेगा और कौन पानी डालकर उसकी आँचरूपी ऊर्जा को नष्ट कर देगा अपने इस अंजाम से अनभिज्ञ पेड़ लकड़ी बन जाने के उपरान्त अपने अतीत को भूल जाना चाहता है।
लकड़ी में तब्दील पेड़ केवल इतना जानता है कि उसकी आँच से उठती हुई चिंगारियाँ पत्तियों की तरह हैं। उनसे वह इस धरती को चूमना चाहता है, क्योंकि इसी धरती में कभी उसकी जड़ें थीं|
3. "वे जो अपने से जीत नहीं पाते
सही बात का भी जीतना सह नहीं पाते,
और उनकी असहिष्णुता के बीच
मैं किसी अपमानजनक नाते की तरह
बेमुरावत तोड़ दिया जाना हूँ।"
(i) प्रस्तुत पद्यांश के पाठ एवं कवि का नाम लिखें।
उत्तर - उपर्युक्त अंश 'जरूरतों के नाम पर' शीर्षक से अवतरित है और इसके रचयिता कुँवर नारायण जी हैं।
(ii) ऐसे कौन लोग है जो ना अपने से जीत पाते हैं और ना सही बात का जीतना सह पाते हैं?
उत्तर -उपर्युक्त अंश में कवि ने उन असहनशील लोगों की मानसिकता का चित्रण किया है जो एक ओर बहस में जीत नहीं पाते हैं और दूसरी ओर वे कवि की सही बातों की जीत को सह भी नहीं पाते हैं।
(ii) पद्यांश का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर - प्रस्तुत पद्यांश में कवि कहते हैं कि समाज में ऐसे लोग भी हैं जो एक ओर बहस में जीत नहीं पाते हैं और दूसरी ओर वे कवि की सही बातों की जीत को सह भी नहीं पाते हैं। कवि ऐसे लोगों की मानसिकता का उल्लेख करते हुए कहते हैं कि वे इतने असहनशील होते हैं कि वे उनसे इस प्रकार रिश्ता तोड़ लेते हैं, जैसे किसी अपमानजनक नाते को बेरहमी से तोड़ दिया जाता है।
4. "पर सब चुपचाप थे, गुमसुम जैसे सबका कुछ छिन गया हो या शायद सबको कुछ ऐसा मिल गया हो,
जिसे अन्दर ही अन्दर सहेजने में सब आत्मलीन से अपने में डूब गए हों।"
(i) प्रस्तुत गद्यांश के पाठ एवं लेखक का नाम लिखिए।
उत्तर-उपर्युक्त अंश 'ठेले पर हिमालय' शीर्षक से अवतरित है और इसके लेखक धर्मवीर भारती हैं।
(ii) सब लोग चुपचाप और गुमसुम क्यों थे?
उत्तर- सूरज के डूबने पर धीरे धीरे ग्लेशियरों में - पिघला केसर बहने लगा । बरफ़ कमल के लाल फूलों में बदलने लगी तथा घाटियाँ गहरी पीली होने लगीं। धीरे धीरे अँधेरा छाने लगा तो सब गुमसुम इसलिए हो गए क्योंकि अब अँधेरा छाने के कारण बरफ़ के दर्शन नहीं हो सकते थे। बरफ़ का मनोहर, सुंदर रूप केवल दिन में ही देखा जा सकता था।
(iii) गद्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए।
उत्तर-सप्रसंग-'यह गद्यांश ठेले पर हिमालय' धर्मवीर भारती द्वारा लिखा गया है। 'ठेले पर हिमालय' का शीर्षक यात्रा - विवरण से लिया गया है। भारती जी ने अपनी नैनीताल से कौसानी की यात्रा और यात्रा में बिताए हुए दिनों और अनुभवों वर्णन किया है। भारती जी कहती हम लोग सिर्फ बर्फ को बहुत निकट से देखने के लिए ही कौसानी गये थे।
व्याख्या: लेखक कहता है कि जब सूर्य अस्त होने लगता है तब ग्लेशियर से पिघली केसर प्रवाहित होने लगी। बर्फ़ कमल के लाल फूलों में बदलने- सी प्रतीत होने लगी और घाटियाँ पिली दिखाई दे रही थी। अंधेरा हो गया था। मैं उठा और हाथ-मुंह धो कर चाय पीने लगे। वहाँ का वातावरण उस समय बहुत शांत था । ऐसा लग रहा था जैसे जीवन में सब कुछ प्राप्त हो गया हो और सब कुछ छीन भी गया हो, जैसे-जैसे सभी अंदर-अंदर तल्लीन होने लगे तब सब आत्मनिर्भर हो गए। यह दृश्य अत्यन्त मनमोहक और यादगार था।
5. स्वामी दयानन्द सरस्वती के मूल सिद्धान्तों का उल्लेख कीजिए ।
उत्तर:-
स्वामी दयानंद सरस्वती जी ने सन् 1875 मे बम्बई मे आर्य समाज की स्थापना की थी। स्वामी दयानन्द सरस्वती के मुख्य सिद्धांत या नियम इस प्रकार से है--
1. ईश्वर निराकार, अजन्मा और अमर है, वह सत्त, चित्त और आनंद है। वह सृष्टा, पालक और रक्षक है। सबको उसकी उपासना करनी चाहिए।
2. वेद सत्य ज्ञान के स्त्रोत है, प्रत्येक कार्य के लिए इनका अध्ययन, मनन-चिन्तन और प्रचार आवश्यक है।
3. बहु-देववाद और मूर्तिपूजा का खंडन तथा अवतारवाद और तीर्थ-यात्रा का विरोध।
4. वेदों के आधार पर यज्ञ, हवन, मंत्र-पाठ आदि करना।
5. कर्म और पुनर्जन्म मे विश्वास करना।
6. अविद्या का नाश, विद्या व ज्ञान का प्रचार तथा शिक्षा का, विशेषकर स्त्री शिक्षा का प्रसार करना चाहिए।
7. बाल-विवाह तथा बहु-विवाह का विरोध तथा विशिष्ट परिस्थितियों मे विधवा विवाह का समर्थन करना।
8. हिन्दी तथा संस्कृत का प्रचार करना।
9. सत्य को ग्रहण करने और असत्य का त्याग करने के लिए सदा तैयार रहना चाहिए।
10. समस्त कार्य पर सत्य व असत्य का विचार करना चाहिए।
6. 'ठेले पर हिमालय' निबंध के शीर्षक की सार्थकता को स्पष्ट कीजिए।
ठेले पर हिमालय डा० धर्मवीर भारती का एक बहुचर्चित यात्रावृतांत है जिसमें लेखक ने हिमालय दर्शन का बड़ी ही चित्रात्मक शैली में वर्णन किया है। हिमालय के दर्शन की, हिम दर्शन की प्रेरणा लेखक को उनके मित्र शुक्लजी से मिलती है जो बार-बार इन्हें उकसाते रहते हैं। लेखक सपत्नीक कोसी पहुँचता है और वहाँ शुक्ल जी के आगमन की प्रतीक्षा करता है क्योंकि लेखक के विचार में शुक्लजी पथ के ऐसे साथी हैं जो पूर्वजन्मों के पुण्यों के आधार पर मिलते हैं। इस कहानी में नैनीताल से कौसानी की यात्रा का वर्णन है।
शुक्लजी एक अजनबी के साथ कोसी आते हैं और यहाँ से बस द्वारा कौसानी की यात्रा आरम्भ हुई है। इस यात्रा का चित्रात्मक वर्णन बड़ा ही मनोरम होता है। घर छोड़ने के बाद कष्ट तो होता ही है। बड़ी कष्ट कर कोसी से कौसानी की यात्रा थी। पर उस यात्रा की थकान को प्राकृतिक दृश्य और सुखद माहौल दूर देता है। 24 मील की बस यात्रा में घने जंगल, पर्वत कर प्रदेश, छोटे-छोटे खेत, खेतों में बिछी हरियाली की कालीन, छोटी-छोटी नदियाँ, नदियों के बहाव के स्वर, मन को मोह लेते हैं। यात्रा का सारा अवसाद बर्फ की तरह पिघल जाता है। इस यात्रा के दौरान दो सुसज्जित प्रकृति की गोद में खेलती सी लगनेवाली घाटियाँ मिलती हैं। सोमेश्वर की घाटी और कत्यूर की घाटी। कत्यूर की घाटी कौसानी की पर्वत श्रृंखलाओं के मध्य लगभग 50 मील की चौड़ाई में फैली हुई है। घाटी की छटा बड़ी ही निराली है। रंग-बिरंगे फूल, हरियाली, आसमान से अठखेलियाँ करनेवाले बादल, बादलों की खिड़की से झाँकते हिमालय में हिमशिखरों का वर्णन करने में शब्द छोटे पड़ जा रहे हैं।
प्रकृति के सुरम्य सौन्दर्य का पान करते हुए लेखक और उनके साथी कौसानी के डाक बंगले पर पहुँचते हैं। वहाँ बैठे बैठे ये प्रकृति का नजारा देखते हैं। खानसामा इनसे कहता है - आपलोग बड़े भाग्यशाली हो, यहाँ हफ्तों बैठकर 14 पर्यटक चले गए। उन्हें यह प्रकृति का नजारा नहीं देखने को मिला।
दूसरे दिन 12 मील का चक्कर लगाकर यह दल बैजनाथ पहुँचा। वहाँ गोमती नदी का नजारा देखने लायक था। गोमती के प्रवाह में हिमालय से ऊँचे शिखरों की परछाइयाँ खेल रही थी, बह रही थीं। जल में तैरते हिम शिखरों को देखकर निहाल हो गया है। वह इस दृश्य को अपनी आँखों के सहारे मन में उतार रहा है, उतारने में व्यस्त है। हिमालय यात्रा की टीस उसे अभी भी सालती रहती है। तभी वह हिमालय की फिर-फिर आने का अपना संदेशा भेजता है।
लेखक शुक्ल जी, सेन तथा अपने अन्य मित्रों के साथ बरफ़ को निकट से देखने के लिए कौसानी गए थे । वहाँ बरफ़ के दृश्य ने लेखक को अपार हर्ष से भर दिया था। इसलिए लेखक ने जब ठेले पर बरफ़ देखी तो वह उसकी ठंडी भाप में खो-सा गया। उसकी स्मृति में हिमालय का बर्फीले सुंदर रूप झलकने लगा। इसलिए जब उसने ठेले पर बरफ़ देखी तो उसे ठेले पर हिमालय' "शीर्षक सूझ गया।
7. सर्वनाम किसे कहते हैं ? सर्वनाम के भेदों का सोदाहरण परिचय दीजिए।
उत्तर-सर्वनाम शब्द दो शब्दों के मेल से बना है-सर्व + नाम। सर्व का अर्थ है सबका। अतः सर्वनाम का अर्थ है-सबका नाम।
जो शब्द संज्ञा शब्दों के स्थान पर प्रयोग किए जाते हैं, वे सर्वनाम कहलाते हैं। जैसे-मैं, हम, तू, तुम, यह, वह, कोई, कुछ, कौन, क्या, सो आदि सर्वनाम शब्द हैं।
सर्वनाम शब्द के भेद
सर्वनाम के निम्नलिखित छह भेद होते हैं।
1.पुरुषवाचक सर्वनाम
2.निश्चयवाचक सर्वनाम
3.अनिश्चयवाचक सर्वनाम
4.संबंधवाचक सर्वनाम
5.प्रश्नवाचक सर्वनाम
6.निजवाचक सर्वनाम।
1. पुरुषवाचक सर्वनाम – जिन सर्वनाम शब्दों का प्रयोग बोलने वाले, सुनने वाले या अन्य व्यक्ति के लिए किया जाता है, वे पुरुषवाचक सर्वनाम कहलाते हैं; जैसे-मैं, तुम, वह आदि।
उदाहरण :-
मैं सोने जा रहा हूँ।
तुम्हारा नाम क्या है?
वह कल जाएगा।
2. निश्चयवाचक सर्वनाम – जो सर्वनाम शब्द किसी निश्चित व्यक्ति, वस्तु अथवा घटना की ओर संकेत करे, उसे निश्चियवाचक सर्वनाम कहते हैं। कुछ प्रमुख निश्चयवाचक सर्वनाम शब्दों के उदाहरण हैं-वे, ये, यह, वह, इस, उस आदि।
वह मेरा घर है।
यह मेरी पेंसिल है।
3. अनिश्चयवाचक सर्वनाम – जो सर्वनाम शब्द किसी निश्चित वस्तु या व्यक्ति का बोध कराते हैं, वे अनिश्चयवाचक सर्वनाम कहलाते हैं; जैसे
दरवाज़े पर कोई खड़ा है।
दूध में कुछ गिरा है।
कुछ प्रमुख अनिश्चयवाचक सर्वनाम शब्दों के उदाहरण हैं, किसी, किन्हीं, कुछ, कोई आदि।
4. संबंधवाचक सर्वनाम – वे सर्वनाम शब्द जो वाक्यों में आए दूसरे संज्ञा या सर्वनाम शब्दों से संबंध बताते हैं, वे संबंधवाचक सर्वनाम कहलाते हैं; जैसे
जो करेगा, सो भरेगा।
जिसे चाहो, उसे बुला लो।
कुछ प्रमुख संबंधवाचक सर्वनाम शब्दों के उदाहरण हैं-जिसने—उसने, जिसका उसका, जो–सो आदि।
5. प्रश्नवाचक सर्वनाम – जिन सर्वनाम शब्दों का प्रयोग प्रश्न करने के लिए होता है, उन्हें प्रश्नवाचक सर्वनाम कहते हैं; जैसे
तुम क्या लाए हो?
दरवाजे पर कौन खड़ा है?
कुछ प्रमुख प्रश्नवाचक सर्वनाम शब्दों के उदाहरण हैं-कहाँ, कौन, किसने, किसे, क्या, कब आदि।
6. निजवाचक सर्वनाम – जिन सर्वनाम शब्दों का प्रयोग व्यक्ति अपने-आप के लिए करता है, वे निजवाचक सर्वनाम कहलाते हैं; जैसे
मैं खुद ही चला जाऊँगा।
हमें अपना काम अपने-आप करना चाहिए।
कुछ प्रमुख निजवाचक सर्वनाम शब्दों के उदाहरण हैं-अपने-आप, स्वयं, खुद आदि।
8. उपसर्ग एवं मूल शब्द पृथक कीजिए
अनुरोध, पराक्रम, प्रहार, विसंगत।
Physical Science
3. दो या तीन वाक्यों में उत्तर दों:
3.1 S.T.P पर हाइड्रोजन गैस का घनत्व 0.0898 ग्रा./ली० हो तो S.I. इकाई में हाइड्रोजन का घनत्व निकाले ?
Ans-1 g/L = 1 kg/m3
S.I. इकाई में हाइड्रोजन का घनत्व=0.0898 kg/m3
3.2-एक तत्व के परमाणु में इलेक्ट्रॉन और प्रोट्रान का कुल संख्या 184 हो और यदि परमाणु का द्रव्यमान संख्या 235 हो तो इसमें न्यूट्रांन की संख्या निकाले ।
उत्तर: किसी तत्व के परमाणु में प्रोटॉन और इलेक्ट्रॉनों की संख्या बराबर होती है।
तो, तत्व के परमाणु में प्रोटॉन की संख्या= (184÷2)= 92
परमाणु में न्यूट्रॉनों की संख्या = (परमाणु द्रव्यमान संख्या - परमाणु में प्रोटॉनों की संख्या)
यानी न्यूट्रांन की संख्या=(235 - 92) = 143 ।
4. एक ट्रेन 60 km/h. के गति से घुम रही है जन ट्रेन में ब्रेक लगाया जाता है तो उसमें 1 m/s2 का ऋणात्मक त्वरण उत्पन हो जाता है, तो उस ट्रेन को एक हालट में (रुकने में) कितना समय लगेगा?
समाधान:
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