Class 9 Hindi notes पद्य धीरे-धीरे उतर क्षितिज से' व्याख्यामूलक वस्तुनिष्ठ प्रश्न 1.तारकमय नव वेणीबन्धन । शीश-फूल कर शशि का नूतन, रश्मि-वलय सित धन अवगुण्ठन, मुक्ताहल अभिराम बिछा दे चितवन से अपनी! प्रश्न - (i) प्रस्तुत अंश के पाठ एवं रचयिता का नाम लिखिए। (ii) इस कविता में किसे सम्बोधित किया गया है ? (iii) प्रस्तुत अंश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। उत्तर- (i) प्रस्तुत अंश 'धीरे-धीरे उतर क्षितिज से' नामक पाठ से उद्धृत है एवं इसकी कवयित्री महादेवी वर्माजी हैं। (ii) इस कविता में वसंत की रजनी को सम्बोधित किया गया है । (iii) प्रसंग - प्रस्तुत प्रकृति-गीत में कवयित्री महादेवी वर्मा ने इस धरती पर वसंत की रजनी को आमंत्रित किया है। व्याख्या – कवयित्री कहती हैं कि हे वसंत रजनी! तुम क्षितिज से उतरकर धीरे-धीरे धरती पर आओ। तुम्हारी नवीन चोटी के बंधन में तारे जगमगाते हों। तुम्हारे माथे पर नवीन चंद्रमा फूल की तरह सजा हो। तुम किरणों के कंगन पहनकर और सफेद बादलों के घूँघट काढ़कर आओ। । तुम आँखों से सुन्दर मोती बिखराओ। तुम प्रसन्नचित्त पुलकित होकर आओ। 2. पुलकित स्वप्नों की रोमावलि । कर में हो स
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