Madhyamik Geography Last minute suggestion

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1. अन्तर स्पष्ट कीजिए :3 Marks

a)रॉश मुटाने(भेड़-पीठ शैल)(मेष शैल)एवं ड्रमलिन 

b)गार्ज एवं कैनियन (Gorge and Canyon)

c)सीफ बालुकास्तूप (Seif dune) तथा बरखान (Barkhan


Long questions (5marks)

VVI.1.) शुष्क क्षेत्रों में वायु एवं जलप्रवाह के संयुक्त प्रवाह से बनी स्थलाकृतियों का सचित्र वर्णन कीजिए। *****


2)हिमनद के अपक्षरण से बननेवाली किन्हीं तीन स्थलाकृतियों का चित्र सहित वर्णन कीजिए।



3)वायु के अपक्षरण द्वारा बनने वाली स्थलाकृतियों का वर्णन कीजिए।





4)नदी के कटाव द्वारा निर्मित भू-दृश्यों का सचित्र वर्णन करो।



V.V.I.धान/कपास/गन्ना/कॉफी/चाय/गेहूं - खेती के लिए अनुकूल भौगोलिक वातावरण की चर्चा करें। 
Ans-(BOOK से पढो)****



V.I.





*****भारत में जनसंख्या वितरण में असमानता के पाँच कारणों की विवेचना कीजिए।

Ans-Book me page no. 128 dekho


***लटकती घाटी में जलप्रपात की सृष्टि क्यों होती हैं?

अथवा, लटकती घाटी में जल प्रपातों का निर्माण क्यों होता है?

उत्तर: लटकती घाटी में जल-प्रपात की उत्पत्ति का कारण : सहायक हिमनद के घाटी के तली मुख्य हिमनद घाटी की तली से ऊँची होती है, जिसके कारण सहायक हिमनद की घाटियाँ मुख्य हिमनद की घाटी पर लटकती हुई सी प्रतीत होती है। तापामन बढ़ने पर हिम के पिघलने से लटकती घाटियों से जल मुख्य हिमनद की नीचली घाटी में गिरने लगता है जिससे जल प्रपातों का निर्माण होता है। इसीलिए लटकती घाटियों पर जल-प्रपात का निर्माण होता है।

***सक्रिय डेल्टा क्षेत्र में (सुन्दरवन के गंगा-पद्मा-मेघना) भूमण्डलीय तापमान में वृद्धि के प्रभावों का वर्णन कीजिए। (Describe the effects of global warming on the active delta region (The Sundarbans of Ganga-Padma-Meghana.)

Ans.भूमण्डलीय तापन का वायुमण्डलीय तापमान में होनेवाली क्रमिक वृद्धि से है। मानवोद्भिद् प्रक्रियाओं द्वारा जनित भूमण्डलीय तापन के कारण भूमण्डलीय, क्षेत्रीय तथा स्थानीय स्तर पर जलवायु में परिवर्तन दृष्टिगोचर हो रहा है। पिछले 100 वर्षों में तापमान में लगभग 0.5° से0 से 0.7° से0 की वृद्धि हुई है। मानव के विभिन्न क्रियाकलापों द्वारा वायुमण्डल में हरित गृह गैसों (Green house gases) की मोटाई अत्यधिक बढ़ चुकी है तथा ओजोन परत का क्षरण हो रहा है जिससे भूमण्डलीय तापमान में वृद्धि हो रही है।

भूमण्डलीय तापमान में वृद्धि के अनेक दुष्परिणाम दावानल, जैव विविधता की हानि, मरूस्थलीकरण, प्रवाल भण्डारों का क्षरण आदि के रूप में देखने को मिल रहा है। इसके साथ ही साथ महाद्वीपीय हिमनद तथा अण्टार्कटिका एवं ग्रीनलैण्ड के हिमचादरों के पिघलने का खतरा उपस्थित हो गया है। हिम के पिघलने से सागरीय जलस्तर में वृद्धि हो रही है। जिससे छोटे द्वीप एवं निचले तटीय स्तर जलमग्न हो सकते हैं। नदियों के सक्रिय डेल्टा अंचल अतिनिम्न तटीय भू-भाग है अत: सागरीय जलस्तर में वृद्धि के कारण इनके जलमग्न होने का खतरा सबसे अधिक रहता है। भूमण्डलीय तापमान वृद्धि एवं जलवायु परिवर्तन के कारण सागरीय जलस्तर में होने वाली वृद्धि के कारण सुन्दरवन डेल्टा क्षेत्र के सुदूर दक्षिणी भाग में स्थित लोहाछारा (Lohachara), (Newmoore) तथा सुपारीभांगा द्वीप जलमग्न हो गए हैं। घोरामारा (Ghoramara) सहित अन्य 12 द्वीप जलमग्न होने के कगार पर खड़े हैं। इस प्रकार भूमण्डलीय तापन के कारण सागरीय जलस्तर में वृद्धि से नदियों के सक्रिय डेल्टा अंचल के पूर्ण या आंशिक रूप से होने का खतरा बना हुआ है।


VVI.*****. पूर्व और मध्य भारत में लौह-इस्पात उद्योगों के विकास के प्रमुख कारकों की व्याख्या कीजिए। (Explain the major factors responsible for the development of Iron and Steel indus try in Eastern and Central India.)

Ans. पूर्वी भारत में लौह-इस्पात उद्योग की उन्नति के कारण

पूर्वी भारत में लौह-इस्पात के कारखाने झारखण्ड में जमशेदपुर एवं बोकारो, पश्चिम बंगाल में दुर्गापुर, हीरापुर एवं कुल्टी, उड़ीसा में राउरकेला आदि हैं। यहाँ लौह-इस्पात उद्योग की उन्नति के निम्नलिखित कारण हैं:

(1) लौह-अयस्क की प्राप्ति :- इन कारखानों को झारखण्ड के सिंहभूम जिले की नोआमुण्डी, गुआ, चिरिया; उड़ीसा की मयूरभंज तथा क्योंझर की खानों से लौह-अयस्क मिल जाता है। रानीगंज से उड़ीसा के राउरकेला के इस्पात के कारखाने के लिए कोयला ले जाने वाले रेलवे वैगन लौटते समय इन कारखानों के लिए खनिज लोहा लाते हैं।
(2) कोयला की सुविधा :- रानीगंज, झरिया, बोकारो, गिरिडीह तथा कर्णपुरा की खानों से कोयला प्राप्त हो जाता है। दुर्गापुर इस्पात के कारखाने के पास तो अपना कोयला धोने का कारखाना भी है।
(3) जलविद्युत की प्राप्ति:- दामोदर नदी-घाटी एवं हीराकुड योजनाओं से पर्याप्त जलविद्युत प्राप्त हो जाती है। 
(4) चूना-पत्थर की प्राप्ति:- वीरमित्रपुर, भावनाथपुर एवं डाल्टनगंज की खानों से चूना पत्थर प्राप्त हो जाता है। 
(5) मैंगनीज की प्राप्ति :- गंगपुर एवं बोनाई की खानों से मैंगनीज प्राप्त हो जाता है।
(6) डोलोमाइट की प्राप्ति:- सम्भलपुर, गंगपुर एवं सुन्दरगढ़ की खानों से डोलोमाइट प्राप्त हो जाता है। 
 (7) स्वच्छ जल की सुविधा :- दामोदर, बराकर, सुवर्णरेखा, सांख एवं ब्राह्मणी नदियों से स्वच्छ जल मिल जाता है। 
(8) सस्ते श्रमिक बिहार, पश्चिम बंगाल व उड़ीसा के घने आबाद क्षेत्रों से सस्ते श्रमिक मिल जाते हैं। 
(9) परिवहन की सुविधा :- पूर्व एवं दक्षिण-पूर्व रेलवे तथा राष्ट्रीय राजमार्गों से परिवहन की सुविधा प्राप्त है।

**डेल्टा के निर्माण के लिये आदर्श दशा लिखो|
Ans-




VVI.*****पश्चिमी भारत में सूती वस्त्रोद्योग की स्थापना क्यों हुई हैं?
उत्तर : पश्चिमी भारत में सूती वस्त्रोद्योग की स्थापना के निम्नलिखित कारण है.

(a) कच्चे मालों की सुविधा (Facility of raw Material) : सूती वस्त्र के लिए अर्द्ध जलवायु चाहिए जिससे धागे जल्दी-जल्दी न टूटें और महीन तथा अधिक लम्बे रहें समुद्र के किनारें और द० पश्चिमी समुद्री हवाओं के प्रवाह क्षेत्र में स्थिति के कारण यहाँ वर्ष भर वायुमण्डल में नमी रहती है। यहाँ की मिट्टी काली है जिसमें कपास की कृषि होती है।

(b) शक्ति के साधन की सुविधा (Power) इस उद्योग की स्थापना के प्रारम्भिक काल में शक्ति के साधनों के अभाव जरूर रहा, किन्तु कोयले की प्राप्ति (सन् 1915 से पहले) इसें द- अफ्रिका से सुविधापूर्वक हो जाती थी। अब तो यहाँ की मिलो के लिए पश्चिमी के पर्वतीय क्षेत्र से जल विद्युत की प्राप्ति होती है।

(c) सस्ते मजदूर (Cheap Labour) बम्बई के निकटवर्ती क्षेत्रों से मजदूर कोकण, सतारा तथा शोलापुर के जिलों से आते है। मध्यप्रदेश से भी मजदूर यहाँ काम के लिये आते हैं। किन्तु यहाँ जीवन स्तर ऊँचा होने के कारण पारिश्रमिक अधिक पड़ता हैं।

(d) बन्दरगाह की सुविधा (Port Facility) सूती वस्त्र - उद्योग की मशीनों का निर्माण विदेशों में ही होता था, अतः उन्हें आयात करने के लिए भारत का सबसे उत्तम बन्दरगाह इस उद्योग को मिला। बम्बई यूरोप से भारत आनेवाले जहाजों के लिए सबसे पहला बन्दरगाह था।

(e) विस्तृत बाजार एवं यातायात के साधनों की सुविधा (Market) : बम्बई के इस उद्योग के लिए भारत को विशाल बाजार की सुविधा प्राप्त थी। देश के सम्पूर्ण भागों से रेलमार्ग एवं सड़क मार्ग द्वारा सम्बन्धित होने के कारण यह निर्मित माल के पूर्ण विस्तार भी सक्षम था। आज की बम्बई की मिलों में बने कपड़े भारत के प्रत्येक भाग में प्रयुक्त होते हैं।

**मरुस्थलों का विस्तार को रोकने के उपाय लिखो |



*** क्या कारण है तमिलनाडु में दो वर्षा ऋतुएँ पाई जाती हैं या कोरोमण्डल तट पर शीतऋतु में वर्षा होती है। (What are the reason Tamilnadu enjoys two rainy seasons in a year, Or Coromondal coast receives winter rain.)
(3 marks)

Ans. तमिलनाडु में दो ऋतुओं में वर्षा होने के कारण :- तमिलनाडु के पूर्वी तट (कोरोमण्डल तट) पर वर्ष में दो ऋतुओं गर्मी तथा जाड़े में वर्षा होती है।गर्मी में तो यहाँ देश के अन्य भागों की तरह दक्षिणी-पश्चिमी मानसूनी हवाओं से वर्षा होती है। जाड़े में देश में उत्तरी-पूर्वी मानसूनी हवाएँ चलती हैं जो स्थल से आने के कारण शुष्क होती हैं। अत: उनसे देश के अधिकांश भाग में वर्षा नहीं होती है। परन्तु यही हवाएँ जब बंगाल की खाड़ी में पहुँचती हैं तो उनमें जलवाष्प आ जाता है। ये भाप भरी हवाएँ पूर्वी घाट पर्वत से टकराकर तमिलनाडु में जाड़े में वर्षा करती हैं। परन्तु वास्तव में यह वर्षा उत्तरी-पूर्वी मानसून से न होकर लौटते हुए मानसून (Retreating Monsoon) से होती है। नवम्बर व दिसम्बर में जहाँ मानसून के लौट जाने से उत्तरी भारत वर्षारहित हो जाता है वहीं दक्षिणी भारत में स्थल पक्रम बंगाल की खाड़ी के तापक्रम से रहने से लौटता हुआ मानसून बंगाल की खाड़ी से आकर तमिलनाडु में जाड़े में वर्षा करता है।

** 4) भारत में नगरीकरण की तीन समस्याएँ लिखिए|(3 marks)




कोई भी 3 👆





*मैंग्रोव वन की विशेषताएँ लिखिए? *
Ans-मैंग्रोव वन की विशेषताएँ (Characteristics) : (i) येवन गंगा, ब्रह्मपुत्र, महानदी, गोदावरी, कृष्णा, काबेरी आदि नदियों के डेल्टा प्रदेशों में पाए जाते हैं ।(ii) सुन्दरी यहाँ का प्रमुख पेड़ है । (iii) इसकी लकड़ी जलावन और नौका निर्माण के काम में लाई जाती है । (iv) ये ज्वारनद मुखों और संकरी खाड़ियों में भी मिलते हैं ।



7)वर्षा जल के संचयन में तमिलनाडू राज्य की भूमिका लिखो |

Ans-वर्षा जल के संचयन में तमिलनाडू राज्य की भूमिका : केस अध्ययन (Role of Tamil Nadu in Rain

Water harvesting : A case study) : (तमिलनाडू भारत का प्रथम राज्य बना जिसने 30 मई 2014 को वर्षा जल संचयन को आवश्यक (mandatory) कर दिया) तमिलनाडू सरकार ने घोषणा किया कि चेन्नई के भागों में वर्षा जल संचयन संरचना को स्थापित किया जायेगा। इसके लिए किसी खास माध्यम से शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में छत से प्राप्त वर्षा के जल को बहुत सारी संरचनाओं में इकट्टा किया जा रहा है। वर्षा का जल शहरी क्षेत्रों में जलभृतों में पुनर्भरित किया जा रहा है और उपयोग के समय लाभकारी ढंग से प्रयोग में लाया जा रहा है। वर्षा जल संचयन के संरचना को इस प्रकार से निर्मित किया गया है जिससे वर्षा जल के संचयन के समय पुनर्भरण संरचना अधिक जगह नहीं घेरती है।

तमिलनाडू सरकार द्वारा नियम बनाना (Tamilnadu Govt. implemented rain water harvesting law) : तमिलनाडू सरकार ने 2003 में शतप्रतिशत वर्षा जल संचयन के लिये कानून पास किया जिसकी अंतिम तारीख 31 अगस्त 2003 रखी गयी। किन्तु अधिकाधिक आँकड़े बताते हैं कि तमिलनाडू के शहरी क्षेत्रों में 42% और ग्रामीण क्षेत्रों में 36% भवनों पर वर्षा जल संचयन की संरचना बन गयी है ।

* *भारत के आर्थिक विकास में रेलवे के महत्त्व का मूल्यांकन कीजिए । 
Ans. भारत के आर्थिक विकास में रेलवे का महत्त्व-रेल परिवहन के विकास में देश की अर्थव्यवस्था को लाभ हुआ है जिसका विवरण निम्न प्रकार है

1. कृषि का विकास :-रलों की सुविधा होने से कृषि का स्वरूप ही बदल गया है। पहले किसान अपनी व आस-पास की आवश्यकताओं के लिए ही कृषि की उपज कराता था, लेकिन आज उसके दृष्टिकोण में परिवर्तन आ गया है। वह उन पदार्थों को भी उत्पादित करता है जिसको निर्यात किया जाता है। जैसे - चाय, कपास, पटसन, तम्बाकू आदि या जिनका उपयोग देश के अन्दर ही अन्य स्थानों पर होता है। है

2. नाशवान वस्तुओं की बिक्री :-रेलों द्वारा नाशवान वस्तुएँ जैसे फल, तरकारी, गन्ना, मछलियाँ आदि एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजी जाती है। इससे इन वस्तुओं के उत्पादन एवं बिक्री में वृद्धि हुई है। दूध, मक्खन, घी,

3. अकालों पर नियंत्रण :-भारत में अकाल पड़ना एक सामान्य बात थी लेकिन जब से रेल का परिवहन साधन के रूप में विकास हुआ है तब से अकाल पर न केवल नियंत्रण ही कर लिया गया है बल्कि अकाल पड़ना ही असम्भव हो गया है। रेलों द्वारा खाद्यान्न एक स्थान से दूसरे स्थान पर बहुत शीघ्र भेज दिया जाता है।

4. मूल्यों में स्थिरता :- देश में वस्तुओं के मूल्यों में विषमता रहती थी, रेलों के विकास से वह काफी हद तक कम हो गयी है, क्योंकि रेलों द्वारा आसानी से माल एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचा दिया जाता है।

5. उद्योगों का विकास :-देश में औद्योगीकरण का प्रादुर्भाव रेलों के विकास के साथ ही हुआ है। आज रेलें कोयला, लोहा इस्पात, सीमेण्ट, जूट, सूती वस्त्र आदि उद्योगों के विकास में योगदान दे रही है। रेलों के द्वारा ही सैकड़ों किलोमीटर दूर से कच्चा माल जैसे कोयला आदि उत्पादन एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचाया जाता है।
 6. श्रम की गतिशीलता :- रेलों ने श्रम में गतिशीलता ला दी है जिससे श्रमिक गाँव छोड़कर शहरो व कस्बों में आ गय हैं। इसका श्रमिकों के रहन-सहन पर अच्छा प्रभाव पड़ा है।


Short question


**जल विभाजक किसे कहते हैं? (What is Interfluves?) 
Ans. जल विभाजक (Watershed or Water Divider or Interfluves) :- जिस ऊँचे भू-भाग द्वारा एक नदी का प्रवाह-क्षेत्र दूसरी नदी के प्रवाह क्षेत्र से अलग होता है, उस ऊँचे भू-भाग को जल विभाजक कहा जाता है। उदाहरण के लिए अरावली पर्वत गंगा एवं सिन्धु क्रम की नदियों के बीच जल विभाजक है। जल विभाजक के दोनों है ओर नदियाँ दो विपरीत दिशाओं में बहती हैं।

***हिमरेखा किसे कहते हैं? (What is Snowline?


Ans. किसी स्थान पर जिस रेखा के ऊपर सदैव बर्फ जमा रहता है, उस रेखा को हिमरेखा (Snowline)कहते हैं। 

**प्लावी हिमशैल किसे कहते हैं? (What is leeberg?)

Ans. प्लावी हिमशैल (Iceberg):- जब किसी प्रदेश में बहता हुआ हिमनद समुद्र तक पहुँच जाता है ले उसको हिमशिालाएँ समुद्र में तैरने लगती है। इसे प्लावी हिमशैल (Iceberg) कहते हैं।

***बर्गश्रंड किसे कहते हैं? (What is the Bergschrund?

Ans. बर्गश्रंड (Bergschrund बर्गश्रंड ): जब उच्च पर्वतीय भागों से हिम फिसलकर नीचे आता है तो वह ढालोंदार बना देता है। इस दरार को बर्गचंड (Bergschrand) कहते हैं।

***बरखान किसे कहते हैं? (What is the Barkhan?)
Ans. बरखान (Barkhan) :- बालू के के वे टीले जिनका विस्तार पवन के बहाव की दिशा के लम्बवत ता है, अनुप्रस्थ बालुका स्तूप कहलाते हैं। अर्द्धचन्द्राकार बालू के अनुप्रस्थ टीलों को बरखान (Barkhan) कहते हैं|

***पेडीमेण्ट किसे कहते हैं? (What the Pediment?)

Ans. पेडीमेण्ट (Pediment):- शुष्क मरुस्थलों में हवा नदी के अपक्षरण द्वारा पर्वतीय अग्रभाग की ट जाती है। इससे वहाँ अत्यन्त मंद डाल वाले अनावृत्त चट्टानी भाग की रचना हो जाती है। इस पर किसी चट्टाकट भी प्रकार के अवसाद का जमाव नहीं होता। इसे 'शैल पद', 'पर्वतीय शुष्क मैदान' या 'पेडीमेण्ट' कहते हैं।

**छठी शक्ति का सिद्धान्त (Six Power's Law) क्या है ? 

Ans-छठी शक्ति का सिद्धान्त (Six Power's Law):- नदी के वेग तथा उसकी परिवहन क्षमता के बोर गहरा सम्बन्ध है जिसे गिलबर्ट ने छठी शक्ति का सिद्धान्त के रूप में प्रस्तुत किया है।

**कृषि वन सृजन किसे कहते हैं? (What is Agro-forestry?)

Ans. कृषि वन सृजन या कृषि वानिकी :-कृषि करने की वह नयी विधि जिसमें कृषि फसलों के साथ साथ पेड़ों - पौधों व झाड़ियों की कृषि की जाती है, उसे कृषि वानिकी कहते हैं। यह कृषि वन संरक्षण के साथ किसानों को अतिरिक्त आय प्राप्त करने तथा खाली भूमि को सदु-उपयोग करने के उद्देश्य से की जाती है।




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