Hindi last minute suggestion-2023

 Hindi 

last minute suggestion

-2023


Vvvi.मनुष्य और सर्प' कविता में निहित संदेश तथा उदेश्य को लिखें।


Vvi.मनुष्य और सर्प' नामक कविता का मूल भाव अपने शब्दों में लिखिए।


Vvi.'रामदास' कविता के माध्यम से कवि ने किस सच्चाई की ओर हमारा ध्यान आकृष्ट करना चाहा है ? 

अथवा, 'रामदास' कविता का मूल भाव लिखें।


उत्तर : रघुवीर सहाय 'रामदास' कविता के कवि हैं। इनकी कविताओं की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि वह जीवन के हर कोने से अपने विषय की तलाश कर लेती है। सत्ता और राजनीति से भी उनकी कविता परहेज नहीं करती है। सत्ता तथा राजनीति में एक ईमानदार व्यक्ति किस प्रकार इसका शिकार होता है इससे भी रघुवीर सहाय आम जनता को सावधान करते हैं। प्रस्तुत कविता 'रामदास' में एक ऐसे ही व्यक्ति का वर्णन है जो गंदी राजनीति का शिकार होता है। उसे अपनी ईमानदारी तथा अन्याय के विरूद्ध आवाज उठाने की कीमत अपनी जान देकर चुकानी पड़ती है।

रामदास एक आम आदमी है। अत्याचार तथा अनाचार का विरोध करने के कारण राजनीतिक गुंडे उसे ये धमकी दे चुके है कि उसे मौत के घाट उतार दिया जाएगा। अपनी हत्या की आशंका से भयभीत वह बाहर निकला। दिन का समय था तथा घने बादल छाए हुए थे। वह मन ही मन भयभीत था कि हो न हो हत्यारे उसकी ताक में होंगे। उसे लगा कि उसका अंत समयः आ गया है क्योंकि उसे पहले से ही धमकी मिल चुकी थी कि सड़क पर नजर आते हो उसकी हत्या कर दी जाएगी।

रामदास अपनी हत्या की आशंका से डरा हुआ सड़क पर धीरे-धीरे चल रहा था। एक बार उसने सोचा कि सुरक्षा के लिए किसी को साथ ले ले। फिर वह सोचकर रह गया क्योंकि निहत्था आदमी ऐसी परिस्थिति में भला उसकी सुरक्षा क्या कर पाएगा।

उसने दोनों हाथ पेट पर सुरक्षा की दृष्टि से रखे हुए था तथा एक-एक कदम सावधानीपूर्वक रखता वह आगे बढ़ रहा था। लोग मौन होकर रामदास पर आँखें गड़ाए हुए थे क्योंकि यह तय था कि जिसने उसे हत्या की धमकी दी है - वह आज उसकी हत्या करके रहेगा।

रामदास सड़क पर आशंकित भाव से खड़ा था कि किसी ने उसका नाम लेकर पुकारा। रामदास पर उसने अपने सधे- सधाये हाथों से चाकू का वार किया। चाकू का वार होते ही रामदास के शरीर से खून का फव्वारा-सा निकल पड़ा। रामदास को चाकू मारने वाला हत्यारा भीड़ की परवाह किए बिना वहाँ से चला गया। किसी ने उसे रोकने की हिम्मत नहीं दिखाई। अब रामदास सड़क पर मरा पड़ा है। लोग उसकी परवाह करने की बजाय वहाँ खड़े थे। वे उन लोगों को बुलाने लगे जिन्हें यह संशय था कि रामदास की हत्या होकर रहेगी।

इस प्रकार हम पाते हैं कि आज के गुंडातंत्र में आम आदमी को गलत का विरोध करना कितना महँगा पड़ता है। भीड़ भी देखती रह जाती है और हत्यारा चहल-कदमी करते निकल जाता है। यह घटना व्यापक अर्थ को अपने आप में उकेरती है। रघुवीर सहाय की कविता में वास्तविकता का दबाव अधिक है। वे यह संदेश देना चाहते हैं कि जब कहने को बहुत कुछ हो तो मौन को स्वीकार करना प्रतिरोध का प्रतीक है। व्यक्ति के अकेले प्रतिरोध से समाज नहीं बदलता है। समाज की संगठित शक्ति से ही राजनैतिक स्थिति को बदला जा सकता है - यही बताना इस कविता का उद्देश्य है।


Vi.नौरंगिया' कविता का मूल भाव अपने शब्दों में लिखिए।


Vi.नौरंगिया' कविता के आधार पर नौरंगिया का चरित्र चित्रण कीजिए। 


Imp.आत्मत्राण' कविता के माध्यम से कवि ईश्वर से क्या प्रार्थना करते हैं?

खंड- ख

Most most important***"नमक' कहानी के आधार पर सफ़िया की मनःस्थिति एवं देश-प्रेम के बारे में अपना विचार व्यक्त कीजिए।


उत्तर- 'नमक' कहानी के आधार पर सफ़िया की मनःस्थिति एवं देश-प्रेम-


'नमक' कहानी भारत-पाक विभाजन के बाद दोनों देशों के विस्थापित पुनर्वासित व्यक्तियों की भावनाओं का मार्मिक वर्णन है। सफ़िया अपने पड़ोसी सिक्ख परिवार के घर कीर्तन में गई थी। वहाँ एक सिक्ख बीबी को देखकर उसे अपनी माँ का स्मरण हो आया, क्योंकि वह महिला उसकी माँ की हमशक्ल थी। सफ़िया की प्रेम दृष्टि से प्रभावित होकर सिक्ख बीबी ने उसके बारे में जानकारी जुटाना चाहा। घर की बहू ने बताया कि सफ़िया मुसलमान है और उसके भाई लाहौर में रहते हैं एवं वह अपने भाई से मिलने लाहौर जा रही है। सिक्ख बीबी ने बताया कि उसका वतन भी लाहौर है और उसे लाहौर के लोग, वहाँ का खान-पान, पहनावा, सैर-सपाटे और जिंदादिली आज भी याद आती है। जब सफ़िया ने पूछा कि क्या आप वहाँ से कोई सौगात मँगाना चाहती हैं, तो इसके उत्तर में सिक्ख बीबी ने थोड़े से लाहौरी नमक की इच्छा प्रकट की।


सफ़िया लाहौर में पन्द्रह दिनों तक रुकी। सफ़िया की लाहौर में बहुत अधिक खातिरदारी हुई और उसे इतना प्यार मिला कि उसे पता ही न चला कि कैसे पन्द्रह दिन बीत गए। उसे अपने मित्रों, शुभचिंतकों और सम्बन्धियों से ढेर सारे उपहार मिले। उसने सिख बीबी के लिए भी एक सेर लाहौरी नमक ले लिया। सफ़िया का भाई एक पुलिस ऑफिसर था। वह अपने भाई से नमक ले जाने के बारे में पूछी तो उसने बताया कि नमक ले जाना गैरकानूनी है और कस्टम वाले आपके सामान की तालाशी लेंगे। वैसे भारत में नमक की कमी नहीं है। सफ़िया ने बताया कि माँ की हमशक्ल की एक सिक्ख बीबी है, जो लाहौर की ही रहनेवाली है, उसी ने नमक मँगाया है और में उसके लिए नमक सौगात के रूप में ले जाना चाहती हूँ।भाई के तर्क देने पर कि पकड़े जाने पर बदनामी होगी तो सक्रिया ने कहा कि में नमक छिपा कर नहीं बल्कि दिखाकर ले जाऊँगी क्योंकि प्रेम, आदमियत और शालीनता कानून के ऊपर होते हैं, उसके बाद उसके आँखों में आँसू आ गए।

रात में सफ़िया ने सामान के पैकिंग के समय फल की टोकरी में नीचे नमक को छिपा दिया। उसने लाहौर जाते समय देखा था कि कस्टम वाले फलों की जाँच नहीं कर रहे थे। सामान पैकिंग के बाद सक्रिया सो गई और सपने में उसने लाहौर के सौन्दर्य, भाई और अपने संबंधियों को देखा। अचानक उसकी आँखें खुली और याद आया कि कीनू की टोकरी देते समय एक दोस्त ने कहा था- 'यह हिन्दुस्तान-पाकिस्तान की एकता का मेवा है।' जब वह फर्स्ट क्लास के वेटिंग रूम में बैठी थी और उसका सामान जाँच के लिए कस्टम वाले के पास जाने लगा तो उसने निर्णय लिया की प्रेम की सौगात चोरी से नहीं ले जाएगी और नमक की पुड़िया निकालकर अपने बैग में रख ली। उसने कस्टम वाले अधिकारी के सामने नमक की पुड़िया रख दी और सारी कहानी बता दी। कस्टम अधिकारी दिल्ली का रहनेवाला था, उसने कहा, 'मुहब्बत तो कस्टम से इस तरह गुजर जाती है कि कानून हैरान रह जाता है।” आप जाकर जामा मस्जिद की सीढ़ियों को मेरा सलाम कहिएगा और इस खातून को कहिएगा कि लाहौर अभी तक उनका वतन है और देहली मेरा। गाड़ी भारत की ओर बढ़ी तो अटारी में पाकिस्तानी पुलिस उतर गई और हिन्दुस्तान की पुलिस सवार हुई। यह देखकर सफ़िया ने सोचा, एक-सी सूरतें और लिबास, एक-सा लबोलहजा और एक सा अंदाज, फिर भी दोनों की हाथों में भरी बंदूकें।


अमृतसर में जो कस्टम अधिकारी सफ़िया के सामान का जाँच कर रहा था वह ढाका का रहनेवाला था। सफ़िया ने उससे कहा कि उसके पास थोड़ा-सा नमक है और नमक के बारे में सारी कहानी उसे बता दिया। कस्टम अधिकारी ने कहा कि वैसे तो डाभ कोलकाता में भी होता है, जैसे नमक यहाँ भी होता है, पर हमारे यहाँ के डाभ की क्या बात है। हमारी जमीन, हमारे पानी का मजा ही कुछ और है। सफ़िया सोच रही थी- "किसका वतन कहाँ है वह जो कस्टम के इस तरफ है या उस तरफ।" इस तरह हम - देखते हैं कि बंगलादेश, पाकिस्तान और भारत की सीमाएँ एवं देश अलग-अलग हैं लेकिन जनता के दिल में भेद नहीं है।


Vviचप्पल कहानी के आधार पर रंगय्या का चारित्रिक चरित्र-चित्रण कीजिए।


Vviनन्हा संगीतकार' कहानी के मुख्य पात्र का चरित्र-चित्रण कीजिए।


Vviनन्हा संगीतकार' शीर्षक कहानी की मार्मिकता पर प्रकाश डालिए।

अथवा, नन्हा संगीतकार कहानी की संवेदना को लिखिए।


खंड-ग

Vvi.हेली इस निष्कर्ष पर कैसे पहुँचे कि धूमकेतु सौरमण्डल के सदस्य हैं ? 

* अथवा, धूमकेतुओं के विषय में हेली ने अपने अध्ययन से क्या निष्कर्ष प्रस्तुत किया ?

Vvvi.नौबतखाने में इबादत' नामक पाठ के आधार पर बिस्मिल्ला खाँ की चारित्रिक विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।


Vvvi**दीपदान' एकांकी के प्रमुख पात्र का चरित्र चित्रण कीजिए।

 * अथवा, ‘दीपदान' एकांकी के आधार पर पन्ना धाय की चारित्रिक विशेषताओं का संक्षेप में उल्लेख कीजिए| [मॉडल प्रश्न पत्र]

अथवा, "अपने जीवन का दीप मैंने रक्त की धारा पर तैरा दिया है। इस कथन के आधार पर पन्ना धाय के चरित्र की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए ।


Vvi**दीपदान एकांकी के शीर्षक का औचित्य निर्धारित कीजिए।


5)Vvvvi **'तीसरी कसम' कहानी के हिरामन का चरित्र-चित्रण करें ।

या,

तीसरी कसम' कहानी में आपको कौन सा चरित्र सर्वाधिक प्रभावित करता है।और क्यों ? सोदाहरण उत्तर दीजिए ।

उत्तर : हिरामन ‘तीसरी कसम' कहानी का प्रमुख पात्र है। हम उसे कहानी का नायक भी कह सकते हैं। हिरामन का चरित्र गाँव की मिट्टी से रचा-बसा है। उसके चरित्र की विशेषताओं को हम निम्नलिखित शीर्षकों के अंतर्गत देख सकते हैं-


(क) भोला-भाला ग्रामीण गाड़ीवान हिरामन का जैसा नाम है वैसा ही वह हीरा भी है। वह अत्यंत ही भोला-भाला है । उसके जैसा कुशल गाड़ीवान उस इलाके में कोई दूसरा नहीं है। फारबिसगंज का हर चोर व्यापारी उसको पक्का गाडीवान मानता है।


(ख) इमानदार हिरामन इमानदार है लेकिन अनजाने में उसने कालाबाजारी का माल ढोया है। पुलिस और कोर्ट कचहरी के चक्कर में वह नहीं पड़ना चाहता है। इसलिए नमक की कालाबाजारी में जब उसकी बैलगाड़ी भी पकड़ी

जाती है तो वह गाड़ी छोड़कर बैलों के साथ नौ-दो ग्यारह हो जाता है ।


(ग) लोकगीतों का बेजोड़ गायक- पूर्णिया तथा इसके आसपास की लोककथा तथा लोकगीतों की उसे पूरी- पूरी जानकारी है। जब वह हीराबाई को 

'सजनवा बैरी हो गए हमार' सुनाता है तो हीराबाई को भी उसकी प्रशंसा करनी पड़ती है। रास्ते में महुवा घटवारिन से जुड़ी लोककथा को जब हिरामन गाकर सुनाता है तो हीराबाई उसे अपना गुरु मान लेती है।


(घ) छोकरा नाच की शौकीन हिरामन जवानी के दिनों में छोकरा नाथ का बड़ा शौकीन था। उसके कारण उसने भाभी ने न जाने कितनी बार डॉट खाया है। इतना ही नहीं, भाई ने उसे घर से निकल जाने को कहा था। हिरामन आज भी उस छोकरा नाच वाले जमाने को याद करता है। 

प्रेमी हृदय हिरामन के पत्नी को मृत्यु बालपन में गौने से पहले ही हो गई थी। दूसरी शादी के लिए उसके मन में कोई इच्छा शेष नहीं रह गई है क्योंकि वह चालीस का हो चुका है। हीराबाई के साथ बैलगाड़ी में बिताए दो दिनो में उसके हृदय का प्रेम जग जाता है। वह मन ही मन हीराबाई से प्रेम करने लगता है। यह मेले की अपनी सारी कमाई को भी हीराबाई को ही रखने को देता है।


(च) निराश प्रेमी जब हीराबाई हिरामन की अमानत उसे सौप कर चली जाती है तो हिरामन का दिल टूट जाता है। होराबाई को लेकर ना जाने उसने कितने सपने सजाए थे। प्रेम में निराश होने के बाद वह अपनी जिंदगी की तीसरी कसम खाता है कंपनी की औरत की लदनी नहीं करेगा।


इस प्रकार हम यह कह सकते हैं कि हिरामन 'तीसरी कसम' का आदर्श पात्र है जिसका चरित्र आंचलिकता के ताने-बाने से बुना गया है-'मिट्टी की सीधी महक के साथ'|


Imp."तीसरी कसम के हीराबाई का चरित्र-चित्रण करें।


उत्तर: 'तीसरी कसम' कहानी को हीराबाई ने मुझे ज्यादा प्रभावित किया है क्योंकि हिरामन के चरित्र में जो गंवईपन है वह उसके वातावरण की देन है। लेकिन हौराबाई जैसी कलाकार के साथ उसके रंग-ढंग, रुचि तथा उसके संगीत में ढल जाना उसके चरित्र की सबसे बड़ी विशेषता है।


हिरामन भी हीराबाई को पहले-पहल देखकर शक करता है- 'कहीं डाकिन-पिशाचिन तो नहीं ?'


लेकिन धीरे-धीरे वह हीराबाई के प्रेम भरे व्यवहार से खुलता चला जाता है, केवल व्यवहार ही नहीं उसको मुस्कुराहट में भी खुशबू है।


हीराबाई नौटकी में काम करती है और उसकी प्रसिद्धि भी चारों ओर छायी हुई है। फिर भी वह हिरामन के अंदर के कलाकार को इज्जत देती है, सराहती है। जब हीरा बाई उससे गाँव की भाषा में कोई गीत सुनाने का आग्रह करती

है तो हिरामन को सुखद आश्चर्य होता है - इस्स इतना शौख गांव का गीत सुनने का है आपको!"


हिरामन ने नौटंकी की पतुरिया के बारे में सुना था लेकिन हीराबाई को देखकर उसे आश्चर्य हो रहा है-


"हिरामन का जी जुड़ गया। हीराबाई ने अपने हाथ से उसका पत्तल बिछा दिया, पानी छोट दिया, चूड़ा निकालकर दिया। इस धन है, चत्र है। हिरामन ने देखा, भगवती मैया भोग लगा रही है। लाल दोनों पर गोरस का पारस पहाड़ी तोते को दूध-भात खाते देखा है ?"


इसी तरह अनेक खट्टे-मीठे अनुभवों के बीच वह दिन भी आ जाता है जब हीराबाई नौटकी से वापस लौट रही है।


वह हिरामन से कहती है- "हिरामन इधर आओ, अंदर मैं फिर लौटकर जा रही हूँ मथुरामोहन कंपनी में, अपने देश


की कंपनी है. बनौली मेला में आओगे, न ?" हिरामन को ऐसा लगता है मानो उसकी दुनिया उजड़ गयी हो वह तीसरी


"उलटकर अपने खाली टपर की ओर देखने की हिम्मत नहीं होती। पीठ में आज भी गुदगुदी लगती है। कसम खा रहा है.... कम्पनी की औरत की लदनी नहीं करेगा।" हिरामन ही क्यों पाठक भी कुछ देर के लिए ऐसा महसूस करते हैं मानो उनके जिंदगी को कोई कोमती चीज खो गई हो। इन्हीं सारे कारणों से 'तीसरी कसम' की होराबाई ने मुझे ज्यादा प्रभावित किया है।


Vvi *'कर्मनाशा की हार' कहानी के भैरो पाण्डे का चरित्र-चित्रण करें ।


उत्तर : 'कर्मनाशा की हार' डॉ० शिव प्रसाद सिंह की बहुचर्चित कहानी है। भैरो पाण्डे इस कहानी का प्रमुख पात्र है तथा इसने मुझे काफी प्रभावित किया है। भैरो पाण्डे की चारित्रिक विशेषताओं को इन शोषकों के अंतर्गत देखा जा सकता है-

(क) आदर्श भाई छोटे भाई कुलदीप के जन्म के कुछ समय बाद ही माता-पिता इस दुनिया से चल बसे। दो साल के कुलदीप का लालन-पालन भैरो पाण्डे ने पिता की तरह किया। भैरो पाण्डे फुलमतिया के साथ कुलदीप के प्रेम-प्रसंग से मन ही मन नाराज है लेकिन पितृवत स्नेह के कारण कुछ कह नहीं पाते ।


(ख) स्नेह, संस्कार, सामाजिक वर्जना तथा कर्त्तव्य के बीच द्वंद्व एक तरफ भाई के प्रति स्नेह का अपार संचार, दूसरी तरफ संस्कार तथा सामाजिक वर्जनाएँ भैरो पाण्डे लगातार इस द्वन्द्व से गुजरते रहते हैं तथा कुछ निर्णय नहीं ले पाते हैं


(ग) अंधविश्वास के विरोधी एवं साहसी सारा गाँव फुलमतिया के गर्भ से पैदा होने वाले नवजात शिशु को कर्मनाशा की बलि देना चाहता है। उनका ऐसा विश्वास है कि ऐसा करने से बाढ़ से रक्षा होगी। ऐसे समय भैरो पाण्डे अंधविश्वास को नकारते हुए फुलमतिया और उसके बच्चे को आगे बढ़कर साहस के साथ स्वीकार कर लेते हैं। 


(घ) मानव धर्म तथा आधुनिकता का पुजारी - भैरो पाण्डे में मानव मात्र के प्रति करुणा है । अंधविश्वास का विरोध करना ही भैरो पाण्डे को आधुनिक बनाता है तथा इस कहानी को भी ।


इस प्रकार हम यह कह सकते हैं कि भैरो पाण्डे का चरित्र एक आदर्श चरित्र है। उसका चरित्र उस आम आदमी का चरित्र है जो अंधविश्वास, उपेक्षा, विवशता आदि के नीचे पिसता हुआ भी अपने सामाजिक तथा व्यक्तिगत हित के लिए लड़ता है तथा संघर्ष के बाद विजयी भी होता है।



Vi.** कर्मनाशा की हार' कहानी में किन समस्याओं को उजागर किया गया हैं? स्पष्ट कीजिए।


Vvi.***'जाँच अभी जारी है' कहानी के उद्देश्य को लिखें।

 अथवा, 'जाँच अभी जारी है' कहानी के शीर्षक पर विचार करें।

अथवा,'जाँच अभी जारी है' कहानी में उठाई गई समस्या पर अपने विचार व्यक्त करें।

उत्तर : 'जाँच अभी जारी है'- कहानी की लेखिका हिन्दी साहित्य की प्रसिद्ध कहानीकार ममता कालिया है। इस कहानी में उन्होंने बैंक में कार्यरत अर्पणा के संघर्ष के बारे में लिखा है कि किस प्रकार एक ईमानदार, लगन से काम करने वाली तथा परिश्रमी युवती को इसके बदले में क्या पुरस्कार मिलता है।


अर्पणा को एक दिन आश्चर्य होता है कि उसके बैंक के मैनेजर खन्ना साहब ने अपने बेटे के जन्मदिन के बहाने उसे पार्टी में बुलाया जो कि बैंक में ही रखी गयी थी। उसे आश्चर्य हुआ कि वहाँ खुले आम हिस्की की बोतल भी रखी गई थी। वह पार्टी से लौट गई। राष्ट्रीयकृत बैंकों के कार्यालयों का यह इस्तेमाल अर्पणा के लिए एक धक्का था। एक बार अर्पणा ने माता-पिता के साथ कुल्लू-मनाली घूमने के लिए छुट्टियाँ ली। लेकिन पिता की तबीयत अचानक बिगड़ जाने से सारी छुट्टी इसी बीमारी में निकल गई। अर्पणा ने अपने अधिकारी को इस बात की सूचना भी दे दी थी। दस दिनों के बाद बैंक जाने पर उसे आश्चर्य हुआ कि क्षेत्रीय कार्यालय से उसके नाम एक पत्र आया था जिसमे लिखा था- " आपने एल. टी. सी. का झूठा बिल पेश कर बैंक के साथ धोखाधड़ी और धन के दुरुपयोग की चेष्टा की है। इस संबंध में अपना स्पष्टीकरण तत्काल दें अन्यथा आपके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई करने को हम बाध्य होंगे।" वह समझ गई कि यह सारा खन्ना साहब का ही किया-कराया है।


उसके बाद क्षेत्रीय कार्यालय में जो चक्कर शुरू किया तो उसका अंत ही होने में न आता था। बैंक के सहकर्मी भी उससे कन्नी काटने लगे। यहाँ तक कि बैंक का चपरासी भी उसकी उपेक्षा करने लगा। जाँच के दौरान भी उससे ऐसे-ऐसे सवाल पूछे जाते जो उसे कई-कई दिनों तक विचलित कर जाते। लम्बे समय बीत जाने के बावजूद भी उसकी जाँच की आग ठण्डी नहीं हुई। उसे लगता था कि न जाने कब उसे इस जाँच से छुटकारा मिलेगा।

इस प्रकार इस कहानी में इस समस्या को उठाया गया है कि आज भी महिलाओं को अपने कार्यक्षेत्र में कितनी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। तरह-तरह से उनके शोषण का प्रयास किया जाता है। जिन अधिकारियों को कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा करना का दायित्व सौपा गया है वही उनका शोषण करते है। जाँच पूरा न होने से कहानी का अंत भी अधूरा ही रह जाता है। इस प्रकार इस कहानी का शीर्षक 'जाँच अभी जारी है' बिल्कुल उपयुक्त एवं सार्थक है।


महत्वपूर्ण निबंध

1)मेरे प्रिय कवि(साहित्यकार)

 (2) प्रदूषण : समस्या और समाधान

(3) जीवन में खेल का महत्त्व 

या,

शिक्षा में खेलकूद का महत्व 

(4) इंटरनेट वरदान या अभिशाप

(5)छात्र जीवन में राजनीति

6)पुस्तकालय का महत्त्व 

7)व्यायाम और स्वास्थ्य(व्यायाम का महत्व)

8)समाचार पत्र की आत्मकथा

9)जीवन में स्वच्छता का महत्त्व

10)यदि मैं शिक्षक होता 

11)पुस्तक की आत्मकथा 

12)समय और उसका सदुपयोग

13)यदि मैं किसान होता






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