Madhyamik life Science extra questions
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1.कोशिका विभाजन की परिभाषा लिखो|कोशिका विभाजन के कितने प्रकार है?उनके नाम लिखिए|कोशिका विभाजन का महत्व लिखो|
Ans-कोशिका विभाजन (Cell division)-मातृ कोशिका (Mother cell) से पुत्री कोशिकाओं (Daughter cell) के उत्पन्न होने की प्रक्रिया को cell division कहते हैं ।
कोशिका विभाजन के प्रकार (Types of cell division )-पौधों तथा जन्तुओं में तीन प्रकार की कोशिका विभाजन सम्पन्न होता है।
1. एमाइटोसिस (Amitosis)
2. माइटोसिस (Mitosis)
3. मियोसिस (Meiosis)
कोशिका विभाजन का महत्व (Significance of cell division)
1. जीव के आकार तथा आयतन में वृद्धि तथा विभिन्न अंगों के विकास के लिए ।
2. बहुकोशकीय जीवों में zygote से भ्रूण का निर्माण तथा विकास के लिए।
3. टूटी - फूटी या नष्ट कोशिकाओं के मरम्मत के लिए । 4. प्रजनन तथा वंश विस्तार के लिए कोशिका विभाजन आवश्यक है।
2-Ans-माइटोसिस (Mitosis) या समसूत्र विभाजन (Equational division) - सोमेटिक सेल के विभाजन की वह सामान्य विधि जिसमें एक मातृ कोशिका के केन्द्रक के केवल एक बार विभाजन के फलस्वरूप समरूप तथा समान क्रोमोजोम वाली दो पुत्री कोशिकाओं की उत्पत्ति होती है, उसे समसूत्र विभाजन (mitosis) कहते हैं।
Homozygous किसी लक्षण को प्रभावित करने वाले दो समान जीन के जोड़े को धारण करने वाली रचना को Homozygous कहते हैं; जैसे TT ,tt आदि ।
Hetrozygous किसी लक्षण को प्रभावित करने वाले दो असमान जीन के जोड़े को धारण करने वाली रचना को Hetrozygous कहते हैं, जैसे (Tt) ।
Pure-किसी एक लक्षण के लिए केवल एक कारक रखने वाले जीन को शुद्ध (pure) कहते हैं या अनुवंशिकता के अन्तर्गत उत्पन्न वह सजीव जिसका जीनोटाइप (Genotype) तथा फीनोटाइप (Phenotype) समान होता है उसे शुद्ध कहते हैं। जैसे शुद्ध लम्बा (TT). बुद्ध बौना (Tt) आदि ।
Hybrid- दो विपरीत लक्षणों वाले जनकों के cross से उत्पन्न होने वाली सन्तान को बर्णसङ्कर (Hybrid) कहते हैं या Alleles से उत्पन्न संतान को hybrid कहते हैं। जैसे (Tt)
Hybridization- Hybrid उत्पन्न करने की क्रिया को hybridization कहते हैं |
****Phenotype - किसी सजीव के दिखाई पड़ने वाले गुण को फीनोटाइप कहते हैं जैसे लम्बा, बौमा आदि ।
****Genotype- किसी सजीव की जीन की संरचना या जीन संरचना द्वारा निर्धारित लक्षणों को Genotype कहते हैं ।
Dominant- किसी लक्षण का वह कारक जो अगली पीढ़ी में स्पष्ट होता है उसे प्रभावी (Dominant) कहते हैं। जैसे Tall |
Recessive- किसी लक्षण का वह कारक जो अगली पीढ़ी में स्पष्ट नहीं हो सकता है उसे अप्रभावी (Recessive) कहते हैं। जैसे Dwarf.
Monohybrid cross- यह cross जिसमें केवल एक जोड़ी विरोधी लक्षण (Contrasting character) भाग लेते हैं उस Cross को monohybrid cross कहते हैं। जैसे TT x tt
Dihybrid cross-वह crossजिसमें दो जोड़ी विरोधी लक्षणों वाले कारक ( factors )भाग लेते हैं उस cross को Dihybrid cross कहते हैं जैसे (TTRR Xttrr)
Back cross- वह cross जो hybrid तथा प्रभावी या अप्रभावी जनकों के बीच कराया जाता है उसे Back cross कहते हैं ।
Test cross - वह cross जो hybrid तथा केवल अप्रभावी जनक के बीच कराया जाता है उसे Test cross कहते हैं ।
****मेन्डल की सफलता का कारण
(The reasons behind the success of Mendel)
1- मेन्डल ने विभिन्न लक्षणों के कारकों को लेकर अपने प्रयोग को दोहराया तथा प्रत्येक प्रयोग से समान परिणाम प्राप्त हुआ।
2- मटर के पौधे में प्रजनन की प्रचुर क्षमता के कारण मेन्डल F,, F, पीढ़ी तक अपने प्रयोग को सरलता पूर्वक संचालित कर निरीक्षण द्वारा गणितीय निष्कर्ष प्राप्त करते रहे। 3- अपने प्रयोग हेतु मटर के पौधे को ही आधार मानकर लगातार प्रयोग करते रहे।
4- विभिन्न प्रयोगों से प्राप्त सांख्यकीय आकड़ों के आधार पर निष्कर्ष की परिकल्पना कर अपने सिद्धान्तों को प्रतिपादित किया । -
***मेन्डल का नियम (Mendel's law)
अपने प्रयोग से प्राप्त निष्कर्ष के आधार पर मेन्डल ने निम्नलिखित दो नियमों का प्रतिपादन क्रिया -
First law-वियोजन का सिद्धान्त (Law of segregation) - इस नियम के अनुसार जब एक जोड़े विरोधी लक्षण किसी भी सङ्करण (Crossing) में भाग लेते हैं तो विरोधी लक्षण कभी भी आपस में संयुक्त नहीं होते हैं और वे अगले पीढ़ी में अलग-अलग हो जाते हैं ।
Second law - स्वतंत्र विन्यास का नियम (Law of independent assortment) जब किसी सङ्क्ररण (Cross) में दो लक्षणों के विरोधी कारक भाग लेते हैं तो वियोजन के समय दोनों जोड़े एक दूसरे से पूर्ण स्वतंत्र होते हैं। यह नियम डाइहाइब्रिड क्रास से उत्पन्न नियम है
Monohybrid cross पर आधारित एक और नियम हैं जिसे Law of dominance कहते हैं ।
Law of dominance-इस नियम के अनुसार प्रथम पीढ़ी F1में केवल प्रभावी लक्षण (dominant character) ही प्रकट होते हैं। अप्रभावी लक्षण प्रभावी लक्षणों द्वारा दबा दिया जाते हैं, जिससे वे प्रकट नहीं हो पाते। लेकि लेकिन यह नियम प्रत्येक दशाओं में सत्य नहीं है अतः इसे मेन्डल के सुत्र के रूप में नहीं माना जाता है।
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