Madhyamik Hindi kahani हिंदी कहानी प्रश्न उत्तर
चप्पल
• कावुटूरि वेंकट नारायण राव
**चप्पल कहानी के आधार पर रंगय्या का चारित्रिक चरित्र-चित्रण कीजिए।
[मॉडल प्रश्न]
उत्तर:- चप्पल कहानी का केन्द्रीय चरित्र रंगय्या है। उसी के केन्द्र के इर्द-गिर्द यह कहानी चक्कर काटती है। रंगय्या के चरित्र की निम्न बातें द्रष्टव्य हैं-
(1) आदर्श पिता:-रंगय्या एक आदर्श पिता है। उसके अंदर बालस्वरूप भाव हिलोरें ले रहा है। वह अपने एकमात्र पुत्र के भविष्य को सँवारने के लिए कृत संकल्पित है। इसे दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि वह अपने पुत्र के लिए ही जी रहा है; उसकी एक-एक गतिविधि पर वह न्योछावर है।
(2) कृतज्ञता भाव: - कृतज्ञता और ममता किसी भी कौम की बहुत बड़ी सिफत होती है। रंगय्या अपने बच्चे के गुरु के प्रति इतना आदर का भाव प्रकट करता है उसको इतना चाहता है कि उसका यह कथन कि "मैं अपना चमड़ा उतारकर चप्पल बनाकर दूँगा फिरभी आप का एहसान नहीं चुका सकूँगा” उसके गुरु के प्रति आदर एवं कृतज्ञता के भाव को प्रकट करता है। हमारे समाज से यह भावना कहाँ लुप्त हो गई ?
(3) श्रद्धा एवं विश्वास की प्रतिमूर्ति : रंगय्या में श्रद्धा एवं विश्वास कूट-कूट कर भरा हुआ है। वह अपने बेटे के गुरु के प्रति श्रद्धा का भाव तो रखता ही है, वह विश्वास से भी लबालब भरा हुआ है तभी तो अपने जीवन की संचित पूँजी मास्टर साहब के यहाँ नियमित रूप से जमा करता जा रहा है। कहाँ हैं ऐसे लोग, रंगय्या जैसे लोग तो चिराग लेकर ढूँढ़ने से भी नहीं मिलेंगे।
(4) अनपढ़ पर जिज्ञासु: -रंगय्या अनपढ़ हैं, उसके लिए काला अक्षर भैस बराबर है। वह शिक्षा के महत्त्व को अब समझ गया है। वह इस उम्र में भी पढ़ना चाहता है। वह मास्टर साहब से स्कूल में नाम लिखवाने की बात करता है। प्रौढ़ शिक्षा केन्द्र एवं रात्रिकालीन पाठशालाओं में उस जैसे लोगों को पढ़ने लिखने की व्यवस्था जानकर वह बहुत खुश होता है और पढ़ने लिखने का निश्चय करता है। यह उसके जिज्ञासा भाव एवं शिक्षा के महत्त्व की समझ का द्योतक है।
(5) सलाहकार : रंगय्या एक कुशल शिल्पी है। उसके पास हुनर है। उसकी कला के स्पर्श के जादू से असम्भव भी संभव हो जाता है अन्यथा मास्टर साहब के सड़े-गले, घिसे-पिटे चप्पलों में नवजीवन का संचार नहीं होता। सब लोग उसे कुशल शिल्पी के रूप में जानते हैं।
(6) अपूर्ण विश्वास एवं बलिदान की भावना : रंगय्या अपने जीवन में सब कुछ सह लेगा पर अपने विश्वास को टूटने नहीं देगा। उसकी यही भावना उसे आग की लपटों में कूदने के लिए बाध्य कर देती है। उसने अपने बेटे रमण के गुरु साहब को बचन दिया है। अपने हाथों चप्पल पहनाने का, वह उसे पूरा करेगा भले ही उसे अपनी जान ही क्यों नहीं गँवानी पड़े। उसने वैसा करके दिखाया। क्या कहेंगे उसकी मूर्खता, उसकी कृतज्ञता भाव या गुरु साहब के प्रति सच्चा प्रेम इसका निर्णय करना सहज नहीं है। मनुष्य की यही भावना तो उसे देवत्व की श्रेणी में ले जाती है।
व्याख्यामूलक प्रश्न
1)वह पिघला हुआ मन खुशी के आँसू के रूप में गालों पर बहने लगा। 1+2=3
(क) यहाँ किसके मन की बात कही गयी है ?
उत्तर - यहाँ रंगय्या के मन की बात कही गयी है।
(ख) इस कथन का संदर्भ और भाव लिखिए।
उत्तर - रंगय्या अपने बेटे रमण को भागते हुए देख रहा था फिर वह होश में आया तो उसने गर्व का अनुभव किया कि उसका एक बेटा है और वह दूसरे बच्चों की तरह बेकार में वक्त नहीं बिताता वह पढ़ना-लिखना सीख रहा है यह सोचकर उसका मन पिघल गया और खुशी के आँसू के रूप में गालों पर बहने लगा।
2. 'मैं अपना चमड़ा उतार कर चप्पल बना के दूँगा, फिर भी आप का ऋण नहीं चुका सकूँगा साहब' यह कह कर वह झुक गया।
(i) प्रस्तुत पंक्ति किस पाठ से ली गई है?
उत्तर - प्रस्तुत पंक्ति 'चप्पल' शीर्षक पाठ से ली गई है।
(ii) प्रस्तुत पंक्ति के लेखक का नाम लिखिए।
उत्तर :-प्रस्तुत पंक्ति के लेखक का नाम कावुदूरि वेंकट नारायण राव है।
(iii) प्रस्तुत पंक्ति का प्रसंग स्पष्ट कीजिए।
उत्तर - प्रस्तुत अंश में रंगय्या का अपने बेटे रमण के मास्टर साहब से मिलकर और यह जान कर कि उसका बेटा मन से पढ़ रहा है। मास्टर साहब उसे अपने संरक्षण में रखे हुए हैं। रंगों का मन मास्टर साहब के प्रति आदर से भर गया। इसी घटना का उल्लेख है।
(iv) उक्त अंश में निहित भाव को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- कृतज्ञता और ममता किसी भी कौम की बड़ी विशेषता होती है। कृतज्ञता ज्ञापित करने वाला व्यक्ति असाधारण व्यक्ति होता है। आज के इस स्वार्थपरक युग में कोमल चित्त उपकारी व्यक्ति खोजने से नहीं मिलते। यह गुण यदि किसी के अंदर है तो वह महान है। इसी भाव को इन पंक्तियों में व्यक्त किया गया है।
Vvi* 3. 'उनका ऋण किसी भी रूप में चुकाया नहीं जा सकता।'
(i) अंश किस पाठ से उद्धत है?
उत्तर - प्रस्तुत अंश 'चप्पल' पाठ से उद्धृत है।
(ii) अंश में कौन-से ऋण की बात कही गई है? उसे क्यों नहीं चुकाया जा सकता ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर - रंगय्या की सारी आशाएँ रमण पर है। वह चाहता है कि उसका बेटा खूब पढ़े, बड़ा आदमी बन जाए और उसके कुलवालों में नाम कमाए। रमण की खुशनसीबी थी कि मास्टर साहब अपने यहाँ उसको खाना देकर पढ़ा-लिखा रहे हैं। यहाँ पढ़ाने और लिखाने के ऋण की बात कही गई है क्योंकि शिक्षा देने वाले शिक्षक का ऋण चुकाया नहीं जा सकता। शिक्षा का मूल्य रुपये में लगाया नहीं जा सकता।
Vvi* 4. 'क्या वह दिन मैं देख सकूँगा?'
(i) प्रस्तुत अंश के रचनाकार का नाम लिखिए।
उत्तर - प्रस्तुत अंश के रचनाकार काबुदूरी बेंकट नारायण राव हैं।
(ii) अंश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए।
उत्तर - एक दिन रंगय्या अपने बेटे रमन से मिलने के लिए स्कूल में गया। वहाँ पर वह मास्टर साहब से रमन की पढ़ाई के बारे में पूछा तब मास्टर साहब ने कहा कि रमण बहुत अच्छा पढ़ रहा है। लड़का बड़ा होशियार है। अब वह 'पेद्द बाल शिक्षा' किताब पढ़ने लगा है। यह सुनकर रंगय्या आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि," मैं भी यही चाहता हूँ। मैं अपना चमड़ा उतारकर चप्पल बना के दूँगा, फिर भी आपका ऋण नहीं चुका सकूँगा,साब।" यह कहकर उसने मास्टर साहब का झुककर पाव छुआ। तब मास्टर साहब ने कहा कि रमन की चिन्ता मत करो, वह बड़ा आदमी बन जाएगा। तुम्हें मोटर में बिठाकर घुमाएगा। यह सुनकर रंगय्या ने कहा, "क्या वह दिन है मैं देख सकूँगा? "
V.i.5. 'फूले अंग वह समा नहीं रहा था।"
(i) प्रस्तुत पंक्ति किस पाठ से उद्धृत है?
उत्तर - प्रस्तुत पंक्ति 'चप्पल' पाठ से उद्धृत है।
(ii) कौन फूले नहीं समा रहा था और क्यों ?
उत्तर - रंगय्या फूले अंग नहीं समा रहा था क्योंकि वह मास्टर साहब के द्वारा अपने बेटे की प्रशंसा सुनकर काफी खुश था।
. *6. "मास्टर साब ने मना किया था बापू। इसी को ठीक कराकर लाने को कहा है ..... अभी चाहिए. . जल्दी।"
(i) यह कथन किसका है?
उत्तर - यह कथन रमण का है।
(ii) मास्टर साब ने क्या मना किया था? और वक्ता क्या ठीक करने की बात कहता है?
उत्तर - मास्टर साब ने नया चप्पल लाने से मना किया था। वक्ता मास्टर साहब के पुराने चप्पल ठीक करने की बात कहता है।
*7. 'उसके पाँव जमीन पर नहीं पड़ रहे थे।"
किसके पाँव जमीन पर नहीं पड़ रहे थे और क्यों ? स्पष्ट करें।
उत्तर - रंगय्या के पाँव जमीन पर नहीं पड़ रहे थे क्योंकि जब वह मास्टर साहब से पूछा कि क्या मैं भी पढ़ सकता हूँ तो मास्टर साहब ने कहा कि आप जैसे लोगों के पढ़ने-लिखने के लिए वयस्कों की रात्रि पाठशाला है कल शाम को आप आ जाइयेगा। मैं आपको दाखिला दिला दूंगा। इससे वह बहुत खुश हुआ।
8. 'रमण तुम्हारा बच्चा नहीं, मैं उसे अपना बच्चा समझता हूँ। तुम उसकी चिंता न करो।उसका सारा भार मुझ पर छोड़ दो।'
(i) प्रस्तुत पंक्तियाँ किस पाठ से ली गई हैं?
उत्तर - प्रस्तुत पंक्तियाँ 'चप्पल' शीर्षक पाठ से ली गई हैं।
(ii) प्रस्तुत पंक्तियों के लेखक का नाम लिखिए।
उत्तर - प्रस्तुत पंक्तियों के लेखक का नाम कावुटूरि वेंकट नारायण राव है।
(iii) प्रस्तुत पंक्तियों का प्रसंग स्पष्ट कीजिए।
उत्तर - प्रस्तुत अंश में एक आदर्श शिक्षक के गुणों की चर्चा की गई है। आदर्श शिक्षक वह है जो अपने छात्र को पुत्रवत् समझता है।
(iv) प्रस्तुत अंश का भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर - शिक्षक एवं शिक्षार्थी में मधुर सम्बन्ध होने चाहिए। आदर्श शिक्षक वह है जो अपने छात्र की अज्ञानता को दूरकर उसे ज्ञान के प्रकाश से प्रकाशित करता है, उसे अपनी संतान समझता है।
9.'मास्टर साहब के चप्पल! उनके जलने के बजाय उसका स्वयं जलकर राख होना बेहतर हैं'|
(i) प्रस्तुत पंक्ति किस पाठ से ली गई है?
उत्तर - प्रस्तुत पंक्ति 'चप्पल' शीर्षक पाठ से ली गई है।
(ii) प्रस्तुत पंक्ति के लेखक का नाम लिखिए।
उत्तर - प्रस्तुत पंक्ति के लेखक का नाम कावुटूरि वेंकट नारायण राव है।
(iii) प्रस्तुत पंक्ति का प्रसंग स्पष्ट कीजिए।
उत्तर - रंगय्या के घर का सारा सामान जल रहा था। उसे उसकी चिंता नहीं थी, उसे अपने प्रिय मास्टर साहब के चप्पलों को जलने की चिंता सताए जा रही थी।
(iv) प्रस्तुत अंश का भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर -सच्चे प्रेमी को अपने प्रिय की हर वस्तु से प्रेम होता है और वह उसकी रक्षा में अपने प्राणों की बाजी भी लगा देता है। सच्चा प्रेम वही है जिसमें त्याग की भावना हो। प्रेम सिर्फ मिलाता ही नहीं है, वह दूर भी करता है।
*10. "इस घटना की खबर भी आग की तरह फैल गई।"
(i) प्रस्तुत पंक्ति किस पाठ से उद्धत है?
उत्तर - प्रस्तुत अंश कावुटूरि वेंकट नारायण राव द्वारा रचित 'चप्पल' पाठ से उद्धृत है।
(ii) किस घटना की खबर आग की तरह फैल गई घटना के पीछे क्या कारण था?
उत्तर- 'रंगय्या' जल गया। इस घटना की खबर आग की तरह फैल गई। रंगय्या अपने लड़के के मास्टर साहब का चप्पल सिलाई करने के लिए लाया था और उस चप्पल को अटारी में रखकर खाने के लिए चला गया। खाना खाने के बाद वह थोड़ा आराम करने के लिए लेट गया और उसे नींद आ गई। कुछ देर बाद नारिंगा ने उसे जगाकर बताया कि उसकी झोपड़ी में आग लग गई है। यह सुनकर रंगय्या अपनी झोपड़ी के पास गया। अपनी झोपड़ी को जलते हुए देखकर उसने सोचा कि झोपड़ी में अगर कोई बहुमूल्य वस्तु है तो वह मास्टर साहब के चप्पल। वह अपनी सारी शक्ति केन्द्रित करके जलती हुई झोपड़ी में प्रवेश कर गया , लेकिन वह पुनः वापस नहीं आ पाया और आग की चपेट में आकर जल गया।
* 11. इतनी बड़ी पुस्तक वह पढ़ने लगा है ?
(i) 'वह' से किसकी ओर संकेत किया गया है?
उत्तर-'वह' से रमण की ओर संकेत किया गया है।
(ii) किस पुस्तक के पढ़ने की बात कही जा रही है और क्यों?
उत्तर- 'पेद्द बाल-शिक्षा' पुस्तक के पढ़ने की बात कही जा रही है। जब रंगय्या अपने बेटे रमण को देखने के लिए स्कूल में गया तो मास्टर साहब ने रंगय्या को बताया कि रमण बहुत अच्छा पढ़ रहा है। लड़का बड़ा होशियार है। अब पेद्द बाल-शिक्षा पढ़ने लगा है और मास्टर साहब ने रमण के हाथों से वह किताब लेकर रंगय्या को दिखा दी, जो उसके हाथ में थी। यह देख अनपढ़ रंगय्या ने आश्चर्य प्रकट किया कि इतनी बड़ी पुस्तक वह पढ़ने लगा है।
12.चिल्लर ही चिल्लर हाथ लगा।
अथवा, उसकी खुशी का ठिकाना न रहा।
प्रश्न: किसके हाथ चिल्लर ही चिल्लर लगा ?
उत्तर : रंगय्या के हाथ चिल्लर ही चिल्लर लगा।
प्रश्न : किसकी खुशी का ठिकाना न रहा ?
उत्तर : रंगय्या की खुशी का ठिकाना न रहा।
प्रश्न : पंक्ति का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर : रंगय्या ने रमण को देखने के लिए स्कुल जाने के पहले अपनी जेब को टटोला तो उसमें से केवल चिल्लर ही चिल्लर निकले। ये चिल्लर भी उसकी उम्मीद से ज्यादा निकले। पिछले दिनो उसने जितना परिश्रम किया था यह उसी का नतीजा था। यह देखकर उसकी खुशी का ठिकाना न रहा कि कुल मिलाकर छः रू० बीस पैसे थे।
13.उसे वह एक स्वर्गधाम- सा लगा।
प्रश्न : 'उसे' तथा 'वह' से कौन संकेतित है?
उत्तर : 'उसे' से रंगय्या तथा 'वह' से रमण का स्कूल संकेतित है।
प्रश्न : प्रस्तुत पंक्ति का संदर्भ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :संदर्भ : प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्य पुस्तक के 'चप्पल' शीर्षक कहानी से ली गई हैं। इसके लेखक 'कावुटूरि वेंकट नारायण राव' हैं।
प्रश्न :प्रस्तुत पंक्ति का प्रसंग स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :प्रसंग : आलोच्य पंक्तियों में मास्टर साहब के प्रति रंगय्या के मन में उठे आदर भाव को प्रदर्शित किया गया है।
प्रश्न : पंक्ति का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर : रंगय्या अपने बेटे रमण को पढ़ते देख तथा मास्टर साहब को साष्टांग प्रणाम कर बाहर आया। बाहर आकर वह कुछ देर तक खड़ा होकर स्कूल को निहारता रहा। उसे लगा कि ऐसे पवित्र स्थान में स्थान पाना बड़े ही भाग्य की बात है। विद्यालय उसे स्वर्ग के समान भव्य-सा लग रहा था।
Important Note:-शब्दार्थ
वक्त गँवाना- समय नष्ट करना
फूले न समाना- बहुत प्रसन्न होना।
चमड़ा उतारना = कृतज्ञता ज्ञापित करना।
पाँव जमीन पर न पड़ना = बहुत खुश होना ।
दिल बैठ जाना = बहुत हताश हो जाना।
आग की तरह फैल जाना = शीघ्र फैल जाना।
लघु उत्तरीय प्रश्न
1. गंगा कौन थी ?
उत्तर- गंगा 'चप्पल' कहानी में वर्णित है, जो एक छोटा होटल चलाती है। उसके होटल में ही रंगय्या खाने के लिए दोपहर में जाता है।
*2. रंगय्या ने भगवान वेंकटेश्वर से क्या प्रार्थना की ?
उत्तर - रंगय्या ने भगवान वेंकटेश्वर से यह प्रार्थना की कि हे! भगवान मेरे बच्चे का उद्धार करो। उसे खूब पढ़ना-लिखना आ जाएगा तो उसे आपकी शरण में लाऊँगा और उससे बाद आपको अर्पित करूँगा।
*3. 'चप्पल' कहानी का अनुवाद किसने किया?
उत्तर - 'चप्पल' कहानी का अनुवाद दण्डमूडि महीधर ने किया था।
★4. क्या परिवर्तन की लहर रंगय्या के जीवन में आई थी ?
उत्तर - नहीं, रंगय्या के जीवन में परिवर्तन की कोई लहर नहीं आई थी। वैसे दुनिया ने समाज ने काफी प्रगति कर ली थी पर वह उसी गरीबी और अभाव का जीवन जीने के लिए विवश था।
* 5. रंगय्या के कदम स्कूल की ओर क्यों चल पड़े?
उत्तर - रंगय्या अपने बच्चे को देखने के लिए स्कूल की ओर गया।
*6. रंगय्या की दो इच्छाएँ क्या थी?
उत्तर - वह चाहता है कि उसका बेटा खूब पढ़े बड़ा आदमी बन जाए और उसके कुलवालों में अच्छा नाम कमाए।
*7. रंगय्या कभी अपने लड़के का मन क्यों नहीं दुखाता था?
उत्तर - रंगय्या अपने लड़के का मन इसलिए नहीं दुखाता था कि उसका लड़का कई लड़कों के बाद जीवित बचा था एवं उससे वह अपने सुन्दर भविष्य की आशा करता था।
8.'चप्पल' कहानी के रचनाकार किस मूल भाषा के लेखक हैं?
उत्तर - 'चप्पल' कहानी के रचनाकार मूलतः तेलुगू भाषा के लेखक हैं।
9. रमण किस कक्षा में पढ़ता था ?
उत्तर:-रंगय्या का बेटा रमण गाँव के ही स्कूल में प्राथमिक कक्षा में पढ़ रहा था।
10. रंगय्या जूता-चप्पल बनाने का कार्य कितने वर्षों से कर रहा था?
उत्तर:- रंगय्या जूता चप्पल बनाने एवं मरम्मत करने का कार्य विगत पचास वर्षों से करता आ रहा था। पर इस कार्य में बरक्कत नहीं थी ।
11. रंगय्या क्या चाहता था ?
उत्तर - रंगय्या चाहता था कि उसका बेटा खूब पढ़-लिखकर बड़ा आदमी बन जाए और उसके कुलवालों में अच्छा नाम कमाए।
*12. रंगय्या के लिए सबसे बड़ा काम क्या था ?
उत्तर:- रंगय्या के लिए सबसे बड़ा काम था अपने बेटे रमण को पढ़ाना लिखाना।
* 13. रंगय्या की झोपड़ी कहाँ थी ?
उत्तर:- नाले के किनारे।
*14. रंगय्या कितने वर्षों से चप्पल सिलाई का काम कर रहा था?
उत्तर:-रंगय्या विगत पचास वर्षों से चप्पल सिलाई का काम कर रहा था।
*15. रंगय्या की सारी आशाएँ किस पर थीं ?
उत्तर:- रंगय्या की सारी आशाएँ रमण पर थीं।
* 16. खाना खाने के बाद रंगय्या ने क्या किया?
उत्तर:-खाना खाने के बाद रंगय्या पास वाले पीपल के पेड़ के नीचे जाकर बैठ गया।
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