Madhyamik Hindi हिंदी निबंध प्रश्न उत्तर
नौबतखाने में इबादत
1. 'नौबतखाने में इबादत' नामक पाठ के आधार पर बिस्मिल्ला खाँ की चारित्रिक विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
• अथवा,
बिस्मिल्ला खाँ के व्यक्तित्व के प्रमुख पहलुओं पर प्रकाश डालिए।
[मॉडल प्रश्न पत्र ]
उत्तर - बिस्मिल्ला खाँ के व्यक्तित्व की निम्नलिखित विशेषताओं ने हमें प्रभावित किया -
(1) सांप्रदायिक सौहार्द्र - बिस्मिल्ला खाँ की गंगा के प्रति अपार श्रद्धा, बाबा विश्वनाथ और बालाजी के मंदिर में शहनाई वादन के साथ ही मुहर्रम के मातमी जुलूस में नौहा बजाते हुए आठ किलोमीटर तक पैदल जाना उनके सांप्रदायिक सौहार्द्र की भावना को प्रकट करता है।
(2) निष्काम भाव से संगीत साधना - ईश्वर से प्रार्थना करते समय उन्होंने कभी भी धन-सम्पत्ति की चाह नहीं प्रकट की, बल्कि सच्चे सुर का वरदान ही माँगते रहे।
(3) निश्छल स्वभाव - उनकी हँसी बच्चों जैसी भोली व स्वाभाविक थी। उन्होंने बचपन की फिल्म देखने की बात से लेकर रसूलनबाई एवं बतूलनबाई के संगीत से प्रेरणा लेने तक की बात स्पष्ट रूप से कह दी।
(4) विनम्रता- उनके व्यक्तित्व में विनम्रता कूट-कूट कर भरी हुई थी। शहनाई के सुरों का बादशाह होने के बावजूद वे कहते थे कि मुझे अब तक सुरों को बरतने की तमीज़ नहीं आई। वे सदैव इस बात पर अफ़सोस प्रकट करते थे कि गायक लोग संगतियों का आदर नहीं करते।
(5) सादगी भरा जीवन- बिस्मिल्ला खाँ का जीवन सादगी से परिपूर्ण था। भारतरत्न मिलने के बाद भी वे फटी लुंगी पहनने में संकोच नहीं करते थे।
2-'नौबतखाने में इबादत' पाठ के आधार पर बिस्मिल्ला खाँ के जीवन पर प्रकाश डालें। अथवा, बिस्मिल्ला खाँ के जीवन से हमें क्या प्रेरणा मिलती है ?
उत्तर : विश्वप्रसिद्ध शहनाईवादक बिस्मिल्ला खाँ आज हमारे बीच नहीं है लेकिन शहनाई की दुनिया में उनका नाम हमेशा अमर रहेगा। "नौबतखाने में इबादत' में यतीन्द्र मिश्र ने इसी बिस्मिल्ला खाँ का व्यक्ति-चित्र उकेरा है। •अमीरुद्दीन अर्थात् बिस्मिल्ला खाँ का जन्म एक ऐसे परिवार में हुआ था, जहाँ शहनाई वादन ही खानदानी पेशा था। दादा और नाना दोनों के परिवार में शहनाई बजाना ही उनका पेशा था। छ: वर्ष की उम्र से ही उन्होंने शहनाई में रुचि लेनी शुरू कर दी थी।
14 वर्ष की उम्र में बिस्मिल्ला खाँ ने रियाज के लिए काशी के बालाजी मंदिर में जाना शुरू किया। रास्ते में दो गायिका बहनों रसूलनबाई और बतूलनबाई के ठुमरी, ठापे आदि को सुनकर संगीत के प्रति उनके मन में विशेष आसक्ति हुई। बिस्मिल्ला खाँ जैसे शहनाईवादक का सहज मानवीय रूप मुहर्रम में दिखाई पड़ता था जब वे आठवीं तारीख को दालमंडी फातमान तक पैदल शहनाई बजाते जाते थे। उनकी आँखें इमाम हुसैन और उनके परिवार के लोगों की शहादत में नम रहती थीं।
काशी से बिस्मिल्ला खाँ का अपार लगाव था। उसके कारण भी थे। काफी में एक ओर पंडित कंठे महाराज, बड़े रामदास, मौजूद्दीन खाँ जैसे बड़े गायक हैं तो दूसरी ओर उनकी कद्र करने वाला अपार जन-समूह भी है। संस्कृति, बोली, उत्सव, संगीत, भक्ति- जिसकी भी बातें करें- काशी की अपनी एक अलग पहचान है।
भारतरत्न प्राप्त बिस्मिल्ला खाँ घरेलू जीवन में काफी सादगी से रहते थे। एक बार फटी लुंगी पहने रहने पर उनकी शिष्या ने टोका तो उन्होंने जवाब भी उसी सादगी से दिया -
“धत् ! पगली, ई भारतरत्न हमको शहनाईया पे मिला है, लुंगिया पे नाहीं ।
• मालिक से यही दुआ है, फटा सुर न बख्शें ।
लुंगिया का क्या है, आज फटी है तो कल सी जाएगी।" जीवन के अंतिम वर्षों में बिस्मिल्ला खाँ को कुछ चीजों की कमी काफी खलती थी, जैसे- संगतियों के मन में गायकों के लिये सम्मान न होना, बहुत सारी परम्पराओं का लुप्त होना, फिर भी वे आजीवन अपने संगीत के द्वारा भाईचारे का संदेश देते रहे । नब्बे वर्ष की आयु में 21 अगस्त 2006 को बिस्मिल्ला खाँ ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया लेकिन जब-जब शहनाई की आवाज गूंजेगी, बिस्मिल्ला खाँ हमारी यादों में बसे रहेंगे।
संक्षिप्त प्रश्न उत्तर
1-बिस्मिल्ला खाँ मुहर्रम किस प्रकार मनाया करते थे ?
उत्तर - मुहर्रम के महीने में उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ मुहर्रम की आठवीं तारीख को खड़े होकर शहनाई बजाते थे। वे दालमंडी में फातहान के करीब आठ किलोमीटर की दूरी तक पैदल रोते हुए नौहा बजाते जाते थे।
2-उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ कौन थे ?
उत्तर - उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ भारत के एक प्रसिद्ध शहनाई वादक थे। वे पाँचो वक्त नमाज पढ़नेवाले मुसलमान थे, पर वे हिन्दू-मुसलमान का भेद त्यागकर काशी के संकट मोचन मंदिर तथा अन्य मंदिरों में शहनाईवादन करते हुए अपार श्रद्धा रखते थे। उन्हें भारत रत्न पुरस्कार प्राप्त हुआ था।
★ 3. मुहर्रम के महीने में उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ क्या करते थे?
उत्तर - मुहर्रम के महीने में उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ मुहर्रम की आठवीं तारीख को खड़े होकर शहनाई बजाते थे। वे दालमंडी में फातहान के करीब आठ किलोमीटर की दूरी तक पैदल रोते हुए नौहा बजाते जाते थे।
★ 4. बिस्मिल्ला खाँ की शिष्या ने डरते-डरते उन्हें किसलिए टोका ?
उत्तर - शिष्या ने बिस्मिल्ला खाँ को फटी लुंगी पहने हुए देखकर कहा कि आपकी इतनी प्रतिष्ठा है, अब तो भारत- रत्न भी मिल चुका है और आप फटी लुंगी पहने रहते हैं और इसी फटी लुंगी में सबसे मिलते हैं। यह आप क्या करते हैं।
★ 5. भैरवी राग कब गाया जाता है ?
उत्तर - भैरवी राग प्रात:काल गाया जाता है।
★ 6. 'नोहा' क्या है ?
उत्तर - शोक गीत ।
★ 7. अमीरुद्दीन के बड़े भाई का नाम क्या है?
उत्तर :-अमीरुद्दीन के बड़े भाई का नाम शम्सुद्दीन है।
* 8. बिस्मिल्ला खाँ बाला जी एवं विश्वनाथ के प्रति आस्था कैसे प्रकट करते थे ?
उत्तर - बिस्मिल्ला जब कभी भी काशी से बाहर होते थे, तब विश्वनाथ एवं बाला जी मंदिर की ओर मुँह करके बैठते थे और थोड़ी देर उसी ओर मुँह करके शहनाई बजाते थे। इस प्रकार वे अपनी आस्था व्यक्त करते थे।
* 9, काशी को संस्कृति की पाठशाला क्यों कहा गया है ?
उत्तर - काशी में विभिन्न संस्कृतियाँ उचित वातावरण पाकर फली फूली हैं। यहाँ विभिन्न धर्मों के लोग सौहार्द्रपूर्वक रहते हैं। इसके अलावा इसका इतिहास हजारों वर्ष पुराना है। अत: काशी संस्कृति की पाठशाला है।
★ (10. अमीरूद्दीन ज़मीन पर पत्थर क्यों मारता था ?
उत्तर - उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ के बचपन का नाम अमीरुद्दीन था। वे अपने मामू अलीबख्श खाँ के शहनाई बजाते हुए सम पर आते ही एक पत्थर जमीन पर मारते थे। सम पर आने की तमीज़ उन्हें बचपन में ही आ गई थी,
परन्तु दाद देने की नहीं ।
★ (11. चार साल का अमीरूद्दीन फिल्म देखने के लिए पैसों का प्रबंध किस प्रकार करता था ?
उत्तर -चार साल का अमीरुद्दीन फिल्म देखने के लिए पैसों का प्रबन्ध मामू, मौसी और नानी से दो-दो पैसे लेकर करते थे ।
* 12. सुषिर-वाद्यों से क्या अभिप्राय है? शहनाई को 'सुषिर-वाद्यों में शाह' की उपाधि क्यों दी गई होगी ?
उत्तर - वैदिक इतिहास में शहनाई का कोई उल्लेख नहीं मिलता है। इसे संगीत शास्त्रों के अन्तर्गत सुषिर-वाद्यों में गिना जाता है। सुषिर-वाद्य अर्थात् फूँककर बजाए जाने वाला बाजा। ऐसे वाद्य जिनमें नाड़ी होती है, उन्हें अरब में 'नय' बोलते हैं; जबकि शाहेनय अर्थात् शहनाई को सुषिर वाद्यों में शाह की उपाधि दी गई है।
* 13. डुमराँव और शहनाई एक-दूसरे के पूरक कैसे हो गए?
उत्तर - डुमराँव गाँव की कोई ऐतिहासिक पहचान नहीं है फिर भी डुमराँव गाँव, एक विशेष स्थान के रूप में प्रसिद्ध हो गया। इस गाँव में भारतरत्न शहनाई वादक का जन्म हुआ। शहनाई के लिए नरकट की आवश्यकता पड़ती
है और यह नरकट इस गाँव में सोन नदी के किनारे विशेष रूप से पायी जाती है। इस तरह शहनाई और डुमराँव एक-दूसरे के पूरक हो गए।
* 14. बिस्मिल्ला खाँ को कौन-सा दुःख कचोटता था ?
उत्तर - बिस्मिल्ला खाँ को काशी की बदलती हुई परंपराएँ और लुप्त होती हुई चीजें कचोटती थीं। बहुत कुछ इतिहास बन चुका है और बहुत कुछ नया बन जाएगा। हिंदू-मुस्लिम की जो गंगा-जमुनी संस्कृति थी, संगीत, साहित्य और अदब की जो परंपराएँ थीं, वे सब बदलती जा रही हैं, लुप्त होती जा रही हैं। उन्हें इन बातों का दुःख था ।
★ 15. अमीरुद्दीन अपने बड़े भाई से कितने वर्ष छोटे थे ?
उत्तर - अमीरुद्दीन अपने बड़े भाई से तीन वर्ष छोटे थे।
★ 16. बिस्मिल्ला खाँ को किसकी कमी खलती है ?
उत्तर - पक्का महाल से मलाई बरफ बेचनेवाले तथा देशी घी और कचौड़ी-जलेबी की कमी बिस्मिल्ला खाँ को खलती थी।
★ 17. लेखक ने गंगा-जमुनी संस्कृति किसे कहा है?
उत्तर - लेखक ने मुहर्रम-तजिया और होली-अबीर को गंगा-जमुनी संस्कृति कहा है।
★ 18. पुराने जमाने में हिन्दू मन्दिर किस भेद से परे थे?
उत्तर - पुराने जमाने में हिन्दू मंदिर जाति-भेद से परे थे।
★ 19. बिस्मिल्ला खाँ खुदा से विश्वासपूर्वक क्या माँगते हैं और क्यों ?
उत्तर - फटा सुर न बख्शें। क्योंकि उनके मन में सुर के प्रति प्रेम था।
★ 20. बिस्मिल्ला खाँ किस दिन खड़े होकर शहनाई बजाते थे ?
उत्तर - मुहर्रम के आठवीं तारीख को बिस्मिल्ला खाँ खड़े होकर शहनाई बजाते थे ।
★ 21. शहनाई की दुनिया में डुमराँव को क्यों याद किया जाता है ?
उत्तर :-शहनाई की दुनिया में डुमराँव को निम्न कारणों से याद किया जाता है:-
(i) शहनाई की दुनिया में शहनाई और डुमराँव एक-दूसरे के पूरक बन गए। (ii) शहनाई बजाने के लिए जिस रीड का प्रयोग किया जाता है वह रीड नरकट (बेंत जाति का प्रसिद्ध पौधा)डुमराँव में सोन नदी के किनारे पाया जाता है।
(iii) भारतरत्न, संगीत-रसिकों के हृदय और संगीत के नायक बिस्मिल्ला खाँ को जन्म डुमराँव में हुआ।
★ 22. बिस्मिल्ला खाँ बचपन में किन गायिका बहनों से प्रभावित हुए?
उत्तर रसूलन बाई और बतूलन बाई बहनों से बचपन में बिस्मि
ल्ला खाँ प्रभावित हुए।
* 23. बिस्मिल्ला खां के मामू का क्या नाम था ?
उत्तर अली बख्श खाँ ।
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